झांसी (यूपी) में जिला प्रशासन लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ को ठेंगे पर रखता है. हालात इतने ख़राब हैं कि किसी खबर के बारे में जब जिले के अधिकारियों से बात की जाती है तो किसी से कोई जवाब नहीं मिलता. प्रशासन के आला अधिकारियों ने मौखिक रूप से आदेश जारी कर सभी अधिकारियों को मीडिया से बात करने पर पाबन्दी लगा दी है. अब हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि कोई खबर चलने पर प्रशासन खबर चलाने वाले को मानसिक रूप से उत्पीड़ित करने लगता है.
इस उत्पीडन की शुरुआत तब हुई जब एक नेशनल चैनल के संवाददाता ने जिले में पानी बिकने की खबर पर जिलाधिकारी का रुख जानना चाहा. प्रशासन ने चैनल को पत्र लिखकर संवाददाता का आचरण ठीक करने की हिदायत दी. इसके बाद एक नेशनल चैनल ने महिलाओं की समस्याओं को लेकर खबर दिखाई तो महिला को पक्ष बनाकर चैनल और उसके संवाददाता पर मुकदमा लिखा दिया गया. इसके बाद एक नेशनल चैनल के संवाददाता ने कच्ची शराब की बिक्री की खबर दिखाई तो उसे भी नोटिस थमा दिया गया. बुन्देलखंड की ही बदहाली दिखाने वाले एक प्रादेशिक चैनल को जिला प्रशासन नोटिस भेज चुका है. यहां का प्रशासन अपने को जनता के प्रति जवाबदेह नहीं मानता. तभी मीडिया पर अघोषित सेंसरशिप लगा हुआ है. पत्रकारों के उत्पीड़न का यह सिलसिला कब थमेगा, इस बात का इंतज़ार यहां के पत्रकारों को है.
झांसी से एक पत्रकार का पत्र
prashant banerjee
January 16, 2010 at 3:21 pm
wakai ye jhansi ke jila prashasan ka galat najariya medai walo ke sath hai.. ager aisa hi hoota raha to jhansi ke sath sath aas pas ke anya jilo ke reporter bhi jhansi ke patrakaro ke sath milkar jila prashasan ke khilaf andolan cherne ke liye taiyar hai..