मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ के न्यूज चैनल ‘टाइम टुडे’ से सूचना मिली है कि रायपुर के ब्यूरो चीफ रीतेश साहू ने इस्तीफ़ा दे दिया है. रीतेश एनडीटीवी के साथ भी काम कर चुके हैं. तीन महीने पहले ही वे टाइम टुडे से जुड़े थे. बताया जाता है कि यह चैनल स्टाफ व संसाधनों की कमी से जूझ रहा है.
साथ ही चैनल में काम का माहौल न होने से अच्चे लोग खुद को एडजस्ट नहीं कर पा रहे हैं. इन्हीं सब वजहों से रीतेश ने इस्तीफा दिया. जिला संवाददाताओं को सेलरी भी देर से मिल रही है. इससे पहले रायपुर से मार्केटिंग टीम के अलावा न्यूज़ के कुछ लोगों ने इन्हीं समस्याओं के कारण अपना इस्तीफ़ा दिया था. भड़ास4मीडिया से बातचीत में रीतेश ने इस्तीफे की पुष्टि की.
amit chourasia
February 26, 2010 at 12:28 am
Dear Ritesh,
Samay ke sath sahi Nirnay
amit chourasia
Lilesh Urmaliya
February 26, 2010 at 4:43 am
सहारा समय से लतीयाए गये कुछ महा भ्रष्ट और चिरकुट स्ट्रींगर्स ने एक धन पशु को जिसने काले धंधों से खूब काली कमाई की है को मीडिया की ताक़त का झूठा प्रलोभन दिलाकर यह चैनल लॉंच किया है और असली चैनल का नाम पवित्र टी. व्ही. है.और इन्होने सिर्फ़ टाइम स्लॉट खरीदा है .इस तरह के फ़र्ज़ी काम कर इस चैनल को ब्लॅकमेलिंग के लिए चलाया जा रहाहै. इन के पास ऐसा कोई चेहरा नहीं है जिस की बाज़ार में २ पैसे की भी साख हो .बंद तो इसे होना ही है.पर तब तक ये लोग पता नहीं कितने लोगों के केरियर से खिलवाड़ कर चुके होंगे. बिना डी .आ .वी.पी. रेट के इन्हे सरकार विज्ञापन दे रही है उसका क्या आधार है ? मनोज श्रीवास्तव बताएँगे क्या ?इस चैनल के खिलाफ तत्काल भारत सरकार और राज्य सरकार को सख़्त से सख़्त कदम उठाना चाहिए.
जबलपुरियाययययययययययययययययययययययययय
February 27, 2010 at 6:59 am
रितेश आपने ठीक समय पर ठीक निर्णय लिया है क्योकी चैनल की जो हालत है काम करने के लिए तो विलकुल ठीक नही है।चैनल की हालत का अन्दाजा तो िसी बात से लगा लो कि लोकल चैनल के कम पडे लिखे कैमरा मैन और रिपोर्टर भी टाईम टुडे मे काम करना नही चहाते भलेही किसी दो पेज के अखबार मे क्यो न काम कर ले क्योकी कहावत है कि कम खाओ लेकिन अच्छा खाओ जो चैनल शुरु होने के चार महीने बाद भी चार घरो मे भी नही दिख पा रहा है वो म.प्र और छत्तीसगढ मे कैसे दिखेगा और कब तक दिखेगा यह चैनल चलाने वालो तक को नही पता इससे तो अच्छा होता कि चैनल का मालिक इतना पैसा तो विल्डिंगे बनाने मे लगा देता तो कुछ फायदा ही कमा लेता यहा मे ये बताना चहाता हू कि ईट और गारा बनाना सरिया खरीदकर विल्डिंग बनाना कोई भी कर सकता है लेकिन खबरो बाला चैनल बनाना अगर विल्डरो के बूते होता सभी रोड छाप विल्डर आज चैनल के मालिक होते और और अपने आप को वरिष्ठ एंव ईमानदार पत्रकार की खुद ही पदवी देने वालो आप भी सुनो वक्त रहते कोई दूसरी नौकरी देख लो नही तो न तो ईमानदार ही रह पाओगे और न ही पत्रकार ही क्योकी आप लोगो धीरे धीरे जंग लगती जा रही है जबलपुरिया भाई चैनल हैड के सपने देखना अच्छी बात है लेकिन सपना केवल सपने तक सीमित रहे नही तो जो है वह भी खोना पड सकता है।साथ ही सरकार इस चैनल को विज्ञापन किन आधार पर दे रही है इसका भी सरकार से जबाब मांगता हू।
pinku
March 1, 2010 at 3:09 am
मध्य प्रदेश और छत्तीस गड़ में हर टॅक्स चोर,बिल्डर ,काला बाज़ारिया और फ़र्ज़ी चिट डुंड कंपनी चलाने वाला यहाँ चैनल खोलना चाहता है क्योंकि मीडिया की आड़ में वो अपने काले धन को सफेद कर लेता है ,साथ ही इन दोनों राज्य के जनसंपर्क विभाग में चाँदी के सिक्के,चमड़े के सिक्के और सोमरस के दम पर मनचाहे विज्ञॉपन मिल जाते हैं और सारे भाजपाई मंत्री और अफ़सर आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे हैं इस लिए वे भी मीडिया के नाम पर सरकारी धन दोनों हाथों से लुटा रहे हैं .सूचना और प्रसारण मंत्रालय तथा भारत सरकार को इस मामले में सी.बी.आई. से जाँच करवा कर दोषियों को कड़े से कड़ा दंड देना चाहिए .