उत्तराखंड के पौड़ी में उमेश डोभाल स्मृति समारोह में पेड न्यूज के खिलाफ प्रस्ताव पास किया गया। प्रस्ताव के जरिए अखबारों के मालिकों से पेड न्यूज पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई। इस बार समारोह में पहुंचे प्रदेश के मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने पत्रकारों को सम्मान दिया। पौड़ी के शराब माफियाओं ने 21 साल पहले 25 मार्च को ही धारदार लेखनी के लिए जाने जाने वाले पत्रकार उमेश डोभाल की हत्या कर दी थी। उसके बाद से जनपक्षीय पत्रकारिता को बढ़ावा देने व उमेश डोभाल की परम्परा को जीवित रखने के लिए 1992 से उमेश डोभाल ट्रस्ट की स्थापना की गई। उसके बाद से ही प्रदेश में उत्कृष्ठ पत्रकारिता के लिए युवा पत्रकारों को पुरस्कार दिया जाने लगा।
इस बार 25 मार्च को पौड़ी में आयोजित 20वें उमेश डोभाल स्मृति पुरस्कार समारोह में मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने पुरस्कार दिए। ट्रस्ट के पूर्व अध्यक्ष स्व. राजेंद्र रावत राजू को उमेश डोभाल स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया। पुरस्कार उनकी बेटी रैमासी रावत ने ग्रहण किया। वयोवृद्व समाजसेवी मान सिंह रावत को राजेंद्र रावत सरोकर सम्मान दिया गया। इसके अलावा इलेक्ट्रानिक मीडिया के लिए गणेश रावत व प्रिंट मीडिया के लिए सीताराम बहुगुणा को पुरस्कार दिया गया। इस दौरान निशंक ने कहा कि राज्य दुनिया भर के लिए हमेशा ही कला व संस्कृति के लिए प्रेरणा का स्त्रोत रहा है।
दूसरे सत्र में जल संकट को लेकर परिचर्चा का आयोजन किया गया। इसमें प्रदेश में जल के कुप्रबंधन, जल नीति, पानी की घटती मात्रा पर गहरी चिंता व्यक्त की गई। परिचर्चा में प्रोफेसर शेखर पाठक ने कहा कि कौसानी में बहने वाली नदी के अंतिम छोर तक करीब 8 लाख लोग बसते हैं। खास बात यह है कि लोगों को पानी देने वाली नदी का पानी ही कम होता जा रहा है। अल्मोड़ा, पौड़ी व देहरादून व हल्द्वानी में पानी कम होता जा रहा है। मैगसेसे पुरस्कार विजेता राजेंद्र सिंह ने कहा कि प्रदेश की नदियों को बुरा हाल है। इनकी सुरक्षा के लिए लंबी लड़ाई लड़ने की जरूरत है। उन्होंने नदियों का हक इनके किनारे बसे लोगों को दिए जाने पर जोर दिया। डा. शमशेर बिष्ट ने पर्वतीय अंचलों में सड़कों के निर्माण के लिए हो रहे जमीन के अंधाधुंध कटान को पानी के लिए चिंताजनक बताया। अनेक लोगों ने पानी के घटते स्तर को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की।
इसी दौरान पत्रकारिता व प्रायोजित खबरें विषय पर परिचर्चा का आयोजन हुआ। इसमें बोलते हुए राष्ट्रीय सहारा के देहरादून संस्करण के सम्पादक दयाशंकर राय ने कहा कि लोकतंत्र के तीनों स्तंभों में जो गिरावट आई है, उसका असर पत्रकारिता पर भी पड़ा है। मीडिया के अंदर हर तरफ से दबाव होता ही है। ऐसे में पत्रकारिता को बिना आरोप लगाए आगे बढ़ाया जाना चाहिए। हिंदुस्तान के कार्यकारी संपादक नवीन जोशी ने कहा कि समाचार पत्रों में विज्ञापन का स्थान पहले से ही तय किया जाता रहा है। लेकिन विज्ञापन से मिलने वाली धनराशि को बढ़ाने की होड़ है जो कि समाचार पत्रों की खबर पढ़ने वाले लोगों के साथ सरासर अन्याय है। उन्होंने कहा कि अभी भी कई मीडिया घराने बचे हैं जो इस तरह की प्रवृति से बचते रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार वीरेन डंगवाल ने कहा कि आवारा पूंजी ने मीडिया के अंदर कई तरह की बुरी प्रवृत्तियों को जन्म दिया है। आवारा पूंजी को खदेड़ने की जरूरत है। बुरी प्रवृत्तियों को आंदोलन के जरिए ही समाप्त किया जा सकता है। पत्रकार बची राम कौंसवाल ने कहा कि सारी व्यवस्था ही व्यावसायिक हो गई है। इस मौके पर ट्रस्ट के अध्यक्ष गोविंद पंत राजू, मैगसेसे पुरस्कार विजेता राजेंद्र सिंह, राजस्थान के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष रामगोपाल सिंह, नरेंद्र नेगी, ललित मोहन कौठियाल, जगमोहन रौतेला, राजीव लोचन शाह, महेश जोशी, चित्रकार बी मोहन नेगी, गणेश खुगशाल, योगेश धस्माना आदि मौजूद थे।
deepak Agrawal, Hindustan, Agra
March 27, 2010 at 3:21 pm
पौड़ी में उमेश डोभाल स्मृति समारोह में पेड न्यूज के खिलाफ प्रस्ताव पास karne पर sbhi patrakar saheyon KO BADHAI.
THANKS TO ALL THOSE WHO PATICIPATE THIS OCCATION.