Connect with us

Hi, what are you looking for?

आयोजन

‘मानेंगे नहीं, मारेंगे नहीं’ उर्फ डा. लोहिया

लोहिया पर व्याख्यान देते के. विक्रमरावलोहिया जन्म शताब्दी महोत्सव वर्ष में ‘अहिंसा और डा. राममनोहर लोहिया’ पर व्याख्यान : डा. लोहिया हिंसा के इतने प्रखर विरोधी थे कि जब वह यूनान यात्रा के लिए जाने वाले थे तो किसी ने उनसे कहा कि डा. साहब, कहां सिकंदर के देश जा रहे हो, तो उन्होंने जवाब दिया कि नहीं, सुकरात के देश जा रहे हैं।

लोहिया पर व्याख्यान देते के. विक्रमराव

लोहिया पर व्याख्यान देते के. विक्रमरावलोहिया जन्म शताब्दी महोत्सव वर्ष में ‘अहिंसा और डा. राममनोहर लोहिया’ पर व्याख्यान : डा. लोहिया हिंसा के इतने प्रखर विरोधी थे कि जब वह यूनान यात्रा के लिए जाने वाले थे तो किसी ने उनसे कहा कि डा. साहब, कहां सिकंदर के देश जा रहे हो, तो उन्होंने जवाब दिया कि नहीं, सुकरात के देश जा रहे हैं।

गांधीजी के सविनय अवज्ञा आंदोनल को डा. लोहिया ने सिविल नाफरनामी का नाम दिया। ‘मानेंगे नहीं, मारेंगे नहीं’ यह लोहिया के जीवन का सिद्धांत था। यह कहना है कि वरिष्ठ पत्रकार व आईएफडब्लूजे के अध्यक्ष तथा श्रमजीवी पत्रकार वेतन बोर्ड, भारत सरकार के सदस्य के. विक्रमराव का। वे डा. राममनोहर लोहिया जन्म शताब्दी महोत्सव समिति की ओर से ‘अहिंसा और डा.राममनोहर लोहिया’ विषय पर नागपुर स्थित लोहिया अध्ययन केंद्र के मधुलिमये स्मृति सभागृह में आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता समिति के कार्याध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने की। इस मौके पर कोषाध्यक्ष हरीश अड्यालकर तथा महासचिव डा. ओमप्रकाश मिश्रा भी मौजूद थे।

विक्रमराव ने डा. राममनोहर लोहिया को हिंसा का प्रखर विरोधी बताते हुए कहा कि उन्होंने सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी हिंसा के खिलाफ आंदोलन किया। डा. लोहिया नेपाल के अहिंसा आंदोलन के जनक थे। लोहिया का कहना था कि हिंसा के आधार पर देश को कभी एकजुट नहीं किया जा सकता। डा. लोहिया ने अहिंसा का प्रचार सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अहिंसा का प्रचार किया। उन्होंने यह प्रयास किया कि भारत अमेरिका और रूस के हिंसात्मक विचारों से अलग वैश्विक स्तर पर एक तीसरा पक्ष बनाएं।

विक्रमराव ने कहा कि डा. लोहिया ने 1951 में ही पूर्वोत्तर की समस्या की ओर देश का ध्यान आकृष्ट किया था लेकिन सरकार ने इसे नजरअंदाज किया, जिससे पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में अलगाव की भावना बढ़ी। डा. लोहिया ने सवाल किया था, आखिर मणिपुर के लोग भारत से अलग क्यों होना चाहते है। मणिपुर के लोग धनुर्धारी अर्जुन की संतान हैं। मणिपुर में जाने के लिए अनुमति लेनी पड़ती है। इसका विरोध करते हुए डा. लोहिया तीन बार मणिपुर गए। डा. लोहिया ने राज्य सत्ता की हिंसा का विरोध किया। केरल में समाजवादी पार्टी की पहली सरकार द्वारा गोलीबारी किए जाने पर डा. लोहिया ने मुख्यमंत्री पट्टमथानू पिल्ले को इस्तीफा देने के निर्देश दिए थे। 1961 के लोकसभा चुनाव के दौरान गोवा मुक्ति के लिए डा. लोहिया ने ही अहिंसक आंदोलन की शुरूआत की।

विक्रमराव ने कहा कि डा. लोहिया पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने धर्म में हिंसा का विरोध किया। विक्रमराव ने बताया कि 2008 में हरियाणा में एक भी बालिका का जन्म नहीं हुआ। यदि आज डा. लोहिया होते तो वे ओमप्रकाश चौटाला के घर जाते और कन्या भ्रूण हत्या का विरोध करते। डा. लोहिया ने नारी पर पुरूष प्रधान समाज की हिंसा का सदैव विरोध किया। आज महिलाओं को संसद में 33 प्रतिशत आरक्षण देने का विरोध लोहिया के नाम पर राजनीति करने वाले त्रिमूर्ति हैं, जबकि उन्हें 50 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने की जरूरत डा. लोहिया ने पर्सनल लॉ का विरोध करते एक पत्नी की वकालत की थी। इसका परिणाम यह हुआ कि उत्तर प्रदेश में उनकी पार्टी के सभी उम्मीदवार हार गए। डा. लोहिया भी केवल 500 वोटों से जीते थे। डा. लोहिया ने धर्म की हिंसा तथा वर्णजाति व्यवस्था का विरोध किया था। डा. लोहिया का कहना था कि आज भारत वर्ष में भ्रष्टाचार अत्याचार बढ़ गए है, लोग गूंगे-बहरे हो गए हैं। अच्छे लोगों को बहरों की आवाज बननी होगी। विक्रमराव ने कहा कि अच्छे लोग, अच्छे तरीके से लड़े तो अहिंसा प्रधान समाज सुदृढ़ होगा।

सुरेश अग्रवाल ने कहा कि हिंसा की परिभाषा मारने तक ही सीमित नहीं है। समाज में व्याप्त डर भी एक तरह की हिंसा है। इसे सुप्त हिंसा कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि समाज में ऐसा देखने में आता है कि हत्यारा हत्या तो एक ही बार करता है, लेकिन उसका खौफ हमेशा के लिए लोगों के दिलों में बस जाता है। उन्होंने कहा कि यदि हम देश के अच्छे नागरिक हैं तो कमजोरों की लड़ाई में उनके साथ आना होगा। संचालन डा. ओमप्रकाश मिश्रा ने किया जबकी प्रास्ताविक तथा आभार हरीश अड्यालकर ने किया।

नागपुर से संजय स्वदेश की रिपोर्ट

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अपने मोबाइल पर भड़ास की खबरें पाएं. इसके लिए Telegram एप्प इंस्टाल कर यहां क्लिक करें : https://t.me/BhadasMedia

Advertisement

You May Also Like

Uncategorized

भड़ास4मीडिया डॉट कॉम तक अगर मीडिया जगत की कोई हलचल, सूचना, जानकारी पहुंचाना चाहते हैं तो आपका स्वागत है. इस पोर्टल के लिए भेजी...

Uncategorized

भड़ास4मीडिया का मकसद किसी भी मीडियाकर्मी या मीडिया संस्थान को नुकसान पहुंचाना कतई नहीं है। हम मीडिया के अंदर की गतिविधियों और हलचल-हालचाल को...

टीवी

विनोद कापड़ी-साक्षी जोशी की निजी तस्वीरें व निजी मेल इनकी मेल आईडी हैक करके पब्लिक डोमेन में डालने व प्रकाशित करने के प्रकरण में...

हलचल

[caption id="attachment_15260" align="alignleft"]बी4एम की मोबाइल सेवा की शुरुआत करते पत्रकार जरनैल सिंह.[/caption]मीडिया की खबरों का पर्याय बन चुका भड़ास4मीडिया (बी4एम) अब नए चरण में...

Advertisement