पत्रकारिता का चरण बहुत शक्तिशाली रहा है और आचरण पर जो उंगलियां उठ रही हैं उसका समाधान सामूहिक प्रयास से होगा. यह विचार वरिष्ठ पत्रकार ईशदत्त ओझा ने व्यक्त किया. वे प्रेस क्लब में दैनिक भारतीय बस्ती के स्थापना दिवस पर आयोजित संगोष्ठी- ‘पत्रकारिता के चरण और आचरण’ को सम्बोधित कर रहे थे. पत्रकारिता के क्रमिक विकास की चर्चा करते हुये उन्होंने कहा कि समय का अपना सत्य है और समाज से ही सभी धारायें निकली हैं. पत्रकारिता उससे भिन्न नहीं है. जब समाज का चरित्र बिगड़ेगा तो पत्रकारिता ही नहीं समाज का कोई भी क्षेत्र हो उससे मुक्त नहीं हो सकता. ईशदत्त ओझा को स्वर्गीय हरिश्चन्द्र अग्रवाल स्मृति सम्मान 2010 से श्री अग्रवाल के पुत्र संजय अग्रवाल और पत्रकारों द्वारा सम्मानित किया गया.
नगर पालिका परिषद की पूर्व अध्यक्षा रूपम श्रीवास्तव ने कहा कि पत्रकारिता साहित्य की एक धारा है और साहित्य सभी के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करती है. शिक्षाविद् रामनरेश सिंह ‘मुजुल’ ने कहा कि विश्वास के चौतरफा संकट के इस समय में और अधिक दायित्व आ गये हैं, जिसका हमें संतुलन के साथ निर्वहन करना होगा. भारतीय बस्ती के संस्थापक सम्पादक दिनेशचन्द्र पाण्डेय ने बस्ती जनपद के पत्रकारिता के उद्भव और विकास पर विस्तार से प्रकाश डालते हुये कहा कि इसका चरण बहुत शक्तिशाली रहा है और आचरण की शुद्धता तभी होगी जब पत्रकारिता मीडिया बनने से बचे.
पत्रकार अनिल कुमार श्रीवास्तव ने आचरण की शुद्धता पर जोर दिया जबकि डा. सत्यव्रत ने पूंजिवादी खतरों से आगाह करते हुये कहा कि संतुलन बना कर आगे बढ़ना होगा. कांग्रेस नेता अम्बिका सिंह ने कहा कि इस बदले समय में राजनीति पत्रकारिता सहित सभी क्षेत्रों में गिरावट आयी है. यह स्थित तभी सुधरेगी जब समाज के जिम्मेदार लोग रचनात्मक पहल करेंगे. कांग्रेस के जिलाध्यक्ष अनिरूद्ध त्रिपाठी ने स्वंय सुधार पर जोर दिया. प्रवक्ता प्रेमषंकर द्विवेदी ने पत्रकारिता के बदलते संदर्भो, विचार और बाजार पर कई यक्ष प्रश्न खड़े किये. पत्रकार रमापति पाण्डेय ने पत्रकारिता के विचलन, बाजार के बढ़ते प्रभाव और सामाजिक विसंगतियों की गंभीर विवेचना करते हुये कहा कि पत्रकारिता अपने नैतिक जिम्मेदारियों से मुंह न मोड़े. पूर्व विद्यायक राजमणि पाण्डेय ने कथनी और करनी का भेद मिटाने पर जोर दिया. कामरेड के. के. तिवारी ने कहा कि जब तक दृष्टि नहीं बदलेगी वर्गीय चेतना के संघर्ष समस्याओं को और गहरा करते रहेंगे.
संगोष्ठी में वंशीधर दूबे, पत्रकार रत्नेश शुक्ल, योगेश शुक्ल, सत्येन्द्र सिंह भोलू, अंकुर वर्मा, सत्यदेव ओझा, भाजपा नेता महेश शुक्ल, पुष्कर मिश्रा, सिद्धेश सिन्हा व अखिलेश दूबे, चन्द्रबलि मिश्र, गोपालजी अग्रवाल, डा. दशरथ प्रसाद यादव, डा. रामकृष्ण लाल जगमग आदि ने सम्बोधित किया. इस अवसर पर दैनिक भारतीय बस्ती फैजाबाद संस्करण के रमापति पाण्डेय, राजकिशोर मौर्य, आचार्य धर्मेन्द्र दास, स्कन्ददास, भानू प्रताप ने सम्पादक दिनेश चन्द्र पाण्डेय को साल और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया. इस अवसर पर पुष्कर पाण्डेय, संदीप गोयल, वीरेन्द्र पाण्डेय, मनीष श्रीवास्तव, मजहर हुसैन, सोहन सिंह, तनवीर आलम, पंकज सोनी, अजय श्रीवास्तव, सलामुद्वीन कुरैशी, प्रमोद श्रीवास्तव, नवनिधि पाण्डेय, दिवाकर मिश्र, संजय द्विवेदी, सज्जाद रिज्वी, पंकज त्रिपाठी, दिनेश उपाध्याय, धनंजय श्रीवास्तव, रमेश मिश्र, इब्राहिम, लालता प्रसाद पाण्डेय, महेन्द्र त्रिपाठी, सत्येन्द्रनाथ श्रीवास्तव, जय प्रकाश गोस्वामी, कुलवेन्द्र सिंह मजहबी, दिलीपचन्द्र पाण्डेय, सुदृष्टि नारायण त्रिपाठी, राकेश चन्द्र बिन्नु, सुरेश गुप्ता, शेषमणि पाण्डेय, राघवेन्द्र मिश्र, विवके चौरसिया, मोहित आदि उपस्थित रहे. आभार ज्ञापन सम्पादक दिनेश सिंह ने और संगोष्ठी का संचालन भारतीय बस्ती के संयुक्त सम्पादक प्रदीपचन्द्र पाण्डेय ने किया.
dinesh chandra mishra
July 26, 2010 at 6:29 pm
bhariye basti pariwar ko meri aur se shubhkamanyee. bharteya basti pradeep chandra pandey ke netritav mea aur aage badhe yehi meri kamana hea.
rajkumar gupta
July 29, 2010 at 1:45 pm
भारतीय बस्ती कि अस्थापना दिवस पर प्रेस क्लब में बहुत बढ़िया संगोष्टी का आयोजन किया गया सभी वक्ताओं ने खुल कर अपने अपने विचार रक्खे ऐसी ही गोष्ठी का आयोजन होना चाहिए और खुल कर बोलने कि आज़ादी होनी चाहिए गोष्ठी में शहर के साथ साथ ग्रामीण पत्रकार भी सहमिल हुये मेरी ख़याल से शहर का कोई भी पत्रकार ऐसा नहीं यह जो बस्ती में हो और शामिल न रहा हो नहीं शामिल हुये तो प्रेस क्लब के अध्यक्ष उपाध्यक्ष मंत्री सहित पूरी मंडली शायद उन लोगो को पत्रकारों के सामने आने में शर्म आरही थी हमें लगता है कि उन लोगो में अब भी कुछ शर्म बाकि बचा है खैर शर्म आजाये तो अच्छी बात है लेकिन आएगी नहीं भड़ास पर खबर प्रकाशित होने के बाद से मुंह छुपा कर घूम रहे है शायद अब अक्ल आजाये वैसे प्रेस क्लब में जिस तरह से गोष्ठी आयोजित हुयी ऐसे ही गोष्ठी होना चाहिए ल
राजकुमार गुप्ता
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