आईआरएस (राउंड-2) : अंग्रेजी और अन्य भाषा की पत्रिकाएं
वर्ष 2008 के इंडियन रीडरशिप सर्वे (राउंड-2) के आंकड़े केवल हिंदी मैग्जीनों के लिए ही खतेर की घंटी नहीं बजाते, अंग्रेजी सहित अन्य भाषाओं की पत्रिकाएं भी इसी पतन के ट्रेंड पर चल रही हैं। सभी के पाठक उनसे दूर भाग रहे हैं। सानंदा और आनंदलोक नामक दो शीर्ष बांग्ला मैग्जीनों ने भी पाठक संख्या में गिरावट दर्ज की है। इन दोनों के पाठक क्रमश: 19.5 लाख और 21.9 लाख से घटकर 17 लाख और 18.5 लाख रह गए हैं।
गुजराती मैग्जीनों की नेता चित्रलेखा और गृहशोभा की पाठक संख्या घटी है। ये क्रमश: 4.5 लाख और 3.4 लाख पर सिमट आई हैं। पिछले वर्ष ये पत्रिकाएं क्रमश: 6.4 और 4.3 लाख पाठकों के दिलों पर राज करती थीं।
मराठी की शीर्ष मैग्जीन गृहशोभा की पाठक संख्या पिछले साल 18 लाख थी तो इस बार 14.8 लाख रह गई है। साप्ताहिक सकाल भी गिरा है। पिछले साल यह 9.7 लाख पर था तो इस बार सिर्फ 7 लाख पाठक रह गए हैं।
अंग्रेजी मैग्जीनों की बात करें तो इंडिया टुडे की पिछले साल 71.3 लाख पाठक संख्या थी। इस साल सिर्फ 68.5 लाख पाठक रह गए हैं। बावजूद इसके, इंटिया टुडे अंग्रेजी मैग्जीनों में नंबर वन पर है।
दूसरे नंबर पर है रीडर्स डाइजेस्ट। इसकी पाठक संख्या में भी गिरावट है। पिछले साल 49.3 लाख पाठक थे तो इस बार आईआरएस राउंड टू के मुताबिक मात्र 40 लाख पाठक रह गए हैं।
नंबर तीन पोजीशन पर तैनात जनरल नालेज टुडे की प्रसार संख्या भी घटी है। पिछले साल के 43.7 लाख पाठकों के मुकाबले इस बार सिर्फ 35.2 लाख पाठक हैं।
कंपटीशन सक्सेस रिव्यू के पाठक 32.9 लाख से घटकर 26.8 लाख रह गए हैं।
स्टारडस्ट पांचवें पोजीशन पर है। इसके पाठक 26.6 लाख से कम होते-होते इस साल मात्र 19.2 लाख रह गए हैं।