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कहिन

खाता हूं पीता हूं ढाई बजे रात को।जो जीवन जीता हूं ढाई बजे रात को।परवरिश घर-परिवार की,नौकरी अखबार की,बनिया-बक्काल की,सत्ता के दलाल दमड़ीलाल की,

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