नेता-अफसर काजू खाएं, शहीदों के परिजन मुंह बंद कर आएं-जाएं

: जय हो इस गणतंत्र की : ये उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग की तस्वीर है. वो कहते हैं न, धरती पर अगर कोई खुदा है तो पुलिस व प्रशासन वाले हैं, बाकी लोग सामान्य मनुष्य. इसकी झलक नीचे दी गई तस्वीर में देख सकते हैं. गणतंत्र दिवस के दिन की ये तस्वीर है. एक तरफ तो देश को आजाद कराने वाले शहीदों के आश्रित बैठे / बैठी हैं तो दूसरी ओर हमारे आधुनिक नेता और अधिकारी. नेता और अधिकारियों के सामने टेबल पर ड्राई फ्रूट, चाय, पानी आदि व्यवस्था है, और ये लोग समय-समय पर इसका आनंद उठाते रहे लेकिन ठीक उसी लाइन में दूसरी तरफ सामने की ओर बैठे लोग, जो आजादी के दीवानों के परिजन हैं, इस सुविधा से वंचित हैं.

सूटेड-बूटेड गणतंत्र की पीठ पर कुबराडीह का कूबड़

: कुबराडीह की चिट्ठी गणतंत्र के नाम : हां, प्यारे गणतंत्र, तुम्हारे समृद्धि के ये वाहक विश्वनाथ, सिंगारी और गंगिया पिछले कुछ सालों में बेकारी और भूख से मर गये : मेरे प्यारे गणतंत्र, एक बात जरूर याद रखना… गांवों से अगर तुमने रिश्ता तोड़ा है तो सूट तुम भले ही जितने अच्छे पहन लो लेकिन तुम्हारी पीठ पर कुबराडीह का कूबड़ हमेशा दिखाई देता रहेगागा, वैसे, सालगिरह की फिर बधाई… :

सहाराइटों को कूपन जारी

खबर है कि सहारा मीडिया ने एक बार फिर अपने फील्ड रिपोर्टरों-स्ट्रिंगरों पर शिकंजा कसा है. देश में सहारा समूह के जितने भी न्यूज चैनल (नेशनल व रीजनल) व अखबार-मैग्जीन आदि हैं, सभी के रिपोर्टरों व स्ट्रिंगरों को 26 जनवरी उर्फ गणतंत्र दिवस के मौके पर 5000 रुपये का विज्ञापन लाने को कहा गया है.