किसानी बचाने के लिए एक कदम

उत्कर्ष सिन्हा: 2 अक्टूबर से शुरू किसान स्वराज यात्रा 20 राज्यों से होते हुए 11 दिसंबर को राजघाट, दिल्ली पहुंचेगी : नफस-नफस कदम कदम, बस एक फिक्र दम ब दम… घिरे हैं हम सवालों से हमें जवाब चाहिए…….. जवाब दर सवाल हैं के इन्कलाब चाहिए……… यह दौर खेती करने और अन्न उपजाने वालों के लिए बेहद खतरनाक दौर है। देश में कृषि योग्य भूमि किसानों से छीनी जा रही हैं। बीज खाद का राक्षस किसानों को लूट रहा हैं। सरकार की कृषि नीति के जरिए गॉव और किसानों के बजाय शहर और व्यापार को बढत दी जा रही हैं। खेती और किसान दोनो चौतरफा संकट से घिरे हैं, सरकार द्वारा खेती की उपजाऊ जमींन मनमाने ढ़ग से अधिग्रहित किया जाना, बीज उर्वरक एवं कीटनाशकों पर बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के आधिपत्य स्वीकार कर किसानों की आत्मनिर्भरता खत्म करना, कृषि क्षेत्र को बाजार के हवाले कर ऐसे हालात पैदा करना जिसमें किसान लूटे, पीटे और कर्जदार बनें। ये कुछ स्थितियां है जो बताती है कि देश में किसान और किसानी बुरी तरह संकटग्रस्त हैं और केन्द्र सरकार की नीतियों से यह संकट लगातार गहराता जा रहा है।