: हमेशा आसपास ही कहीं सुनाई देती रहेगी मखमली आवाज़ : बात थोड़ी पुरानी हो गई है। लेकिन बात अगर तारीख़ बन जाए तो धुंधली कहाँ होती है। ठीक वैसे जैसे जगजीत सिंह की यादें कभी धुंधली नहीं होने वालीं। ठीक वैसे ही जैसे एक मखमली आवाज़ शून्य में खोकर भी हमेशा आसपास ही कहीं सुनाई देती रहेगी। जगजीत भाई यूएस में थे, वहीं से फ़ोन किया – ‘आलोक, कश्मीर पर नज़्म लिखो। एक हफ़्ते बाद वहां शो है, गानी है।’
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ममता-चित्रा के हाथों आलोक सम्मानित
सामाजिक सरोकारों के लिए समर्पित रहे पत्रकार स्व. वेद अग्रवाल स्मृति साहित्य-पत्रकारिता सम्मान-2010 लब्धप्रतिष्ठ गजलकार-पत्रकार आलोक श्रीवास्तव को प्रदान किया गया। मेरठ के चैंबर हॉल में उत्तर प्रदेशीय महिला मंच के रजत जयंती समारोह में ये सम्मान आलोक को ममता कालिया और चित्रा मुदगल ने प्रदान करते हुए आलोक श्रीवास्तव को दुष्यंत के बाद हिंदी गजलों का सर्वाधिक सशक्त हस्ताक्षर बताया।