मायावती सरकार के चार साल पूरे होने पर दैनिक जागरण, लखनऊ संस्करण में चार किश्तों में मायावती के कामकाज पर स्टोरी प्रकाशित हुई. इन विशेष स्टोरीज वाले कालम का नाम था- वादा तेरा वादा. इन कालमों के जरिए बताया गया कि मायावती के राज में वे क्या क्या काम नहीं हुए, जिनका ऐलान किया गया था. साथ ही इन स्टोरीज में सरकार के कामकाज की आलोचनात्मक समीक्षा थी, जो कि अखबारों में आमबात है.
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अरुण शहलोत का माल टूटा तो हृदयेश दीक्षित ने रवींद्र जैन पर निशाना साधा
राज एक्सप्रेस के मालिक हैं अरुण शहलोत. इनके यहां राज एक्सप्रेस में पहले हृदयेश दीक्षित संपादक हुआ करते थे. बेआबरु होकर इन्हें राज से बाहर जाना पड़ा. जाहिर है, बाहर करने का फैसला अरुण शहलोत ने ही लिया होगा. लेकिन आजकल के चालाक पत्रकार और बड़े पदों पर आसीन पत्रकार किसी भी मामले में मालिक को कभी दोषी नहीं मानते. वे हमेशा दोष किसी निर्दोष पत्रकार के मत्थे मढ़ देते हैं. हृदयेश दीक्षित गए तो रवींद्र जैन को पूरा पावर मिल गया और संपादक बना दिए गए.
इंदौर से रवींद्र का नाम हटा, ग्वालियर में जुड़ा
: मालिक ने अपने साले को बनाया इंदौर का संपादक : विकास मिश्रा ने राज ज्वाइन किया : अजीब अखबार है राज एक्सप्रेस भी : बिल्डर और अखबार मालिक अरुण सहलोत के दिमाग का कोई ठिकाना नहीं. कब क्या कर दें, कुछ पता नहीं. आजकल वे प्रिंटलाइन-प्रिंटलाइन खेल रहे हैं. ताजी सूचना ये कि उन्होंने इंदौर एडिशन से रविंद्र जैन का नाम हटाकर अपने साले और कंपनी में निदेशक के रूप में कार्यरत संजय मेहता का नाम स्थानीय संपादक के रूप में दे दिया है.