आज ही बिरहा भवन से लौटा हूं. शोक, कोहरा और धुंध में लिपटा बिरहा भवन छोड़ कर लौटा हूं. शीत में नहाता हुआ. बिरहा भवन मतलब बालेश्वर का घर. जो मऊ ज़िले के गांव चचाईपार में है. कल्पनाथ राय रोड पर. बालेश्वर की बड़ी तमन्ना थी हमें अपने बिरहा भवन ले जाने की. दिखाने की. मैं भी जाना चाहता था. पर अकसर कोई न कोई व्यवधान आ जाता. कार्यक्रम टल जाता.