साहित्य विनोद शुक्ला और घनश्याम पंकज जैसों के पापों को पत्रकारों की कई पीढियां भुगतेंगी : ऐसे लोग सूर्य प्रताप जैसे जुझारू पत्रकारों को दलाली में पारंगत करते रहेंगे : और अब तो प्रणव राय जैसे लोग भी बरखा... bhadas4media.comFebruary 15, 2011
कहिन बिरहा भवन से लौट कर : देख नयन भरि आइल सजनी आज ही बिरहा भवन से लौटा हूं. शोक, कोहरा और धुंध में लिपटा बिरहा भवन छोड़ कर लौटा हूं. शीत में नहाता हुआ. बिरहा... bhadas4media.comJanuary 24, 2011
साहित्य शीघ्र पढ़ेंगे दनपा का उपन्यास ‘लोक कवि अब गाते नहीं’ : स्वर्गीय जय प्रकाश शाही की याद में लिखा गया है यह उपन्यास : स्वर्गीय बालेश्वर के जीवन के कई दुख-सुख हैं इसमें :... bhadas4media.comJanuary 20, 2011
साहित्य मंत्रीजी मुख्यमंत्री के पैरों पर गिर गिड़गिड़ाए : उपन्यास- ''वे जो हारे हुए'' : भाग (अंतिम) : ''वह तुमको थप्पड़ नहीं सैल्यूट मार रहा है, समझे!'' इतना सुनने के बाद मंत्री... bhadas4media.comJanuary 20, 2011
साहित्य सुनता हूं कि मैडम टिकट में ही पैसे ले लेती हैं : उपन्यास- ''वे जो हारे हुए'' : भाग (7) : इसी डिप्रेशन में रात ज़्यादा पी ली : ज्योतिष और संतई भी डूब गई... bhadas4media.comJanuary 18, 2011
साहित्य शराब, सिगरेट, सुलगन और जिमखाना! : उपन्यास- ''वे जो हारे हुए'' : भाग (6) : तो समझो बच्चा कि गांव में गांधीपना मत झाड़ो, गांधी पाकिस्तान को पोसते-पोसते हे... bhadas4media.comJanuary 15, 2011
साहित्य पहले रिपोर्टर पैसा लेकर ख़बर छापते थे तो हमको लगा कि सीधे हम ही क्यों न पैसा ले लें : उपन्यास- ''वे जो हारे हुए'' : भाग (5) : वह गांव गया भी। दो दिन बाद। यह सोच कर कि अब तक क़ासिम... bhadas4media.comJanuary 14, 2011
साहित्य इस मिनिस्टर को एक करोड़ रुपए का भाव किसने बताया? : उपन्यास- ''वे जो हारे हुए'' : भाग (4) : हम तो समझे थे कि राजनीति में ही पलीता लगा है, पर पत्रकारिता वाले... bhadas4media.comJanuary 12, 2011
साहित्य एक लोहिया थे, जाति तोड़ो, दाम बांधो का पहाड़ा पढ़ाते थे… : उपन्यास- ''वे जो हारे हुए'' : भाग (3) : एक थे विनोबा भावे, इमरजेंसी के पोषक संत बन कर वह ख़ुद ही सो... bhadas4media.comJanuary 12, 2011
साहित्य आप बाहर तो बहुत डेमोक्रेटिक बनते हैं, पर घर में इस क़दर तानाशाही? : उपन्यास- ''वे जो हारे हुए'' : भाग (2) : डाक्टर कमरे से निकल कर अंदर हाल में गया जहां लाइन से लाशें रखी... bhadas4media.comJanuary 10, 2011
दुख-दर्द चले गए बालेश्वर [caption id="attachment_19156" align="alignleft" width="107"]स्वर्गीय बालेश्वर[/caption]: स्मृति-शेष : सुधि बिसरवले बा हमार पिया निरमोहिया बनि के : अवधी की धरती पर भोजपुरी में झंडा गाड़... bhadas4media.comJanuary 9, 2011
साहित्य ह्वेन आई टाक तो आइयै टाक, ह्वेन यू टाक तो यूवै टाक! बट डोंट टाक इन सेंटर-सेंटर : उपन्यास- ''वे जो हारे हुए'' : भाग (1) : रात वह सो गया था कि मोबाईल की घंटी बजी। एक बार की घंटी... bhadas4media.comJanuary 9, 2011
साहित्य संडे से पढ़िए, नया उपन्यास, वे जो हारे हुए : साफ सुथरी राजनीति और समाज का सपना देखने वाले तमाम-तमाम लोगों के नाम : भारतीय राजनीति और समाज में हो रही भारी टूट-फूट... bhadas4media.comJanuary 8, 2011