हिमाचल प्रदेश के चंबा, कांगड़, कुल्लू, शिमला, सोलन, सिरमौर, लाहुल स्पिति, किन्नौर आदि जिलों से ताल्लुक रखने वाले तथा विभिन्न समाचार पत्रों से जुड़े बीसियों पत्रकार भी मीडिया में चल रहे इस गोरखधंधे से आहत हैं लेकिन ये लोग अपना नाम आगे आने से गुरेज करते हैं। इन पत्रकारों का मानना है कि धन उगाही के इस धंधे में उन्हें ढाल की तरह प्रयोग किया जा रहा है।
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मीडिया का जाल या जाल में मीडिया (एक)
मीडिया में पैसे लेकर खबरें बेचने का का नंगा नाच भारतीय मीडिया को शर्मसार करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। इस बढ़ती प्रवृति को लेकर विगत महाराष्ट्र विस चुनाव और लोकसभा चुनाव के बाद प्रेस कांउसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष न्यायमूर्ति जस्टिस जी.एन.रे ने इसे मीडिया का वेश्यावृति करार दिया था।
धन और करियर बर्बाद कर रहे चैनल मालिक
: फरेब की बुनियाद पर खड़े चैनलों से कैसे कर पाते हैं लोकप्रियता की उम्मीद : ”19 में से 16 चैनल हुए बंद” शीर्षक से 25 अक्तूबर को भाड़ास4मीडिया पर प्रकाशित मेरे द्वारा लिखे गए लेख पर पाठकों की विशेषकर मीडियाकर्मियों की प्रतिक्रिया देख कर मैं वास्तव में हैरान रह गया। इलेक्ट्रानिक मीडिया में मेरी हज़ारों खबरें चलीं व प्रिंट मीडिया में भी मैं हजारों बार छपा।
19 रीजनल न्यूज चैनलों में से 16 क्यों हुए बंद?
[caption id="attachment_18341" align="alignleft" width="66"]गोपाल शर्मा[/caption]: चैनलों के लिए उर्वरा नहीं है पंजाब, हिमाचल, हरियाणा, चंडीगढ़ की धरा : दर्शकों व विज्ञापनदाताओं की नब्ज टटोलने में नाकाम चैनल प्रबंधन के कारण हिमाचल, पंजाब व हरियाणा में टीवी मीडिया का उफान ठंडा पड़ा चुका है. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के 500 से अधिक पत्रकार व इतने ही अन्य मीडियाकर्मी सड़क पर आ गए हैं. दरअसल यहां का भूगोल इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए उतना उर्वरा नहीं है जितना चैनलों को आरंभिक दौर में नज़र आया. परिणाम यह हुआ कि एक-एक कर यहां से चैनल गायब होते गए.