: नभाटा के संपादकीय स्टाफ को भेजा था : (आखिरी भाग) : हिंदी की यह खूबी मानी जाती है कि यह जिस तरह बोली जाती है उसी तरह लिखी जाती है। इसमें मौन (साइलेंट) वर्णों के लिए कोई स्थान नहीं होता। होनेस्ट लिखा होगा तो होनेस्ट ही बोला जाएगा, ओनेस्ट नहीं। शब्द अस्तित्व में है तो वह ध्वनित भी होगा अन्यथा उसका लोप हो जाएगा। वीइकल में इ का पृथक उच्चारण असंभव तो है ही, व्याकरण का नियम इसके लोप हो जाने की वकालत करता है।