हरिवंश की कलम से- ‘कहां गइल मोर गांव रे’

पर इस बार 11 अक्तूबर को जेपी के जन्मदिन पर गांववालों ने अनुभव सुनाये. कहा मीडियावाले तो ऐसे-ऐसे सवाल पूछ रहे थे, मानो यूपी-बिहार के गांव ‘भारत-पाक’ जैसे दो देश हों. जेपी का जन्म कहां, घर कहां? वगैरह-वगैरह. गांववालों ने कहा, हमने तो इसके पहले जाना ही नहीं कि हमारा गांव, दो राज्यों और तीन जिलों में है. हम तो एक बस्ती हैं. एक शरीर जैसे. उसे आप बांट रहे हैं, ऊपर से बता या एहसास करा रहे हैं.

एक दिनी दिल्ली यात्रा से उपजे सवाल का जवाब मैं तलाश नहीं पा रहा : हरिवंश

[caption id="attachment_19626" align="alignleft" width="76"]हरिवंशहरिवंश[/caption]: हमें अर्जुन, भीम, गांडिव- गदा भी नहीं चाहिए, बल्कि अपढ़ कामराज जैसा रहनुमा चाहिए : कई महीनों बाद दिल्ली जाना हुआ. नहीं जानता, दिल्ली हमसे दूर हो गयी है या हम दिल्ली से दूर. इस यात्रा का मकसद था. आइसी सेंटर फॉर गवर्नेस द्वारा आयोजित, करप्शन फ्री गवर्नेस (भ्रष्टाचार मुक्त शासन) पर बोलना.  इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में. प्रभात कुमार जी (पूर्व राज्यपाल, पूर्व कैबिनेट सचिव) और  अनेक मशहूर लोग इस संस्था से जुड़े हैं.

हम पत्रकार भी एक अदभुत अहं ग्रंथि से पीड़ित रहते हैं

हरिवंश: सपने, संघर्ष और चुनौतियां (अंतिम) : प्रभात खबर आकर हमने बृजकिशोर झंवर (लाली बाबू) से मैनेजमेंट की बारीकियां सीखीं, तत्कालीन चेयरमैन बसंत कुमार झंवर के विजन-प्रोत्साहन ने प्रभात खबर को हमेशा नयी ताकत दी, युवा चेयरमैन प्रशांत झंवर और युवा एम.डी राजीव झंवर का पग-पग पर सुझाव, सहयोग और विजन ‘प्रभात खबर‘ समूह की सबसे बड़ी ताकत है, प्रभात खबर के निदेशक समीर लोहिया के प्रैक्टि‍कल सुझाव हमारी ताकत हैं :

राडियाकांड ने दिखाया- पत्रकारिता पतन में भी सबसे आगे

हरिवंश: सपने, संघर्ष और चुनौतियां (3) : प्रभात खबर में जब चुनौतियों के दिन शीर्ष पर थे, तो हर बार बैठक में कहता था कि जिन्हें सुरक्षित भविष्य चाहिए, अच्छा पैसा चाहिए, वे वैकल्पिक रास्ता तलाश सकते हैं, क्योंकि यहां भविष्य अनिश्चित है, संघर्ष है, परिस्थितियां विपरीत हैं : हमारी अपनी आचार-संहिता है, शराब पीकर कोई दफ्तर आये, स्वीकार्य नहीं है :

प्रभात खबर बंद कराने को बड़े घरानों ने साजिश रची थी

हरिवंश: सपने, संघर्ष और चुनौतियां (2)आनंद बाजार पत्रिका छोड़ कर कुछेक हजार की नौकरी पर यहां आया, कंपनी द्वारा दी गयी थर्ड हैंड मारुति वैन + किराये का घर, यही तब पाता था, आज प्रभात खबर में वरिष्ठ होने के कारण सबसे अधिक तनख्वाह मैं पा रहा हूं. इससे काफ़ी अधिक के प्रस्ताव भी आये : इस गरीब इलाके में पत्रकारिता करने की प्रेरणा हमें यहां खींच लायी:

तब मैं, केके गोयनका और आरके दत्ता ड्राइविंग सीट पर थे

हरिवंश: सपने, संघर्ष और चुनौतियां (1) : प्रभात खबर को नया इंस्टीट्यूशनल रूप देने के लिए शुरुआत हमने ऊपर से की. पहल कर मैं हटा. केके गोयनका एमडी बने. आरके दत्ता एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर. ये दोनों वे लोग हैं, जिन्होंने जीवन के सर्वश्रेष्ठ वर्ष चुपचाप प्रभात खबर को बनाने में दिये हैं. यह बदलाव यहीं नहीं रुका. पूरे झारखंड को संभालने के लिए दूसरी पंक्ति की एक निर्णायक टीम खड़ी की गयी… :

हरिवंश ने एमडी का पद छोड़ा

(प्राथमिक खबर) : प्रभात खबर से एक बड़ी खबर है कि इस अखबार के मैनेजिंग डायरेक्टर और एडिटर इन चीफ हरिवंश ने मैनेजिंग डायरेक्टर का पद छोड़ दिया है. वाइस प्रेसीडेंट केके गोयनका को नया मैनेजिंग डायरेक्टर बना दिया गया है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ये फेरबदल प्रभात खबर के बेहतर संचालन और भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए किया गया है.