राजनीतिज्ञ नहीं मानेंगे कि जनता, राजनीतिज्ञों से नफ़रत करने लगी है. कुछ हद तक राजनीति से भी. यह प्रवृत्ति पढ़े-लिखे, उभरते मध्यवर्ग या जिन्होंने पुरानी राजनीति और राजनेताओं को देखा है, उनमें अधिक है. युवाओं में भी. हालांकि शुरू में ही स्पष्ट कर दें कि राजनीति और राजनेता ही हालात बदल सकते हैं. बेहतर या बदतर बना सकते हैं.
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भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का धुंआ देख उसे तुरंत बुझाने में क्यों जुटे सत्ताधारी?
: दुनिया के एक विख्यात न्यायविद, न्यायमूर्त्ति हैंड ने कहा था, आजादी के बारे में… नैतिकता या भ्रष्टाचार के प्रसंग में भी वही चीज लागू है…. उनका कथन था, आजादी मर्दों-औरतों के दिलों में बसती है. जब वहां यह मर जाती है, तब इसे कोई संविधान, कानून या अदालत नहीं बचा सकती… :
आज सबसे कठिन है भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना उर्फ अन्ना की घेरेबंदी
: ईमानदार लोगों को समाज भी समय के साथ व्यावहारिक नहीं मानता : जब तक जेपी भ्रष्टाचार के खिलाफ चुप रहे, उन्हें शासक वर्ग पूजता रहा, जैसे ही, 74 में वह बोले, उन पर चौतरफा प्रहार शुरू हुआ, उनके गांधी शांति प्रतिष्ठान की जांच के लिए कुदाल आयोग बैठा : गांव का सीधा-साधा आदमी भ्रष्टाचार के खिलाफ आज लड़ना चाहता है, तो उसे इस कदर व्यवस्था घेर लेगी कि या तो वह आत्महत्या कर लेगा या दयनीय पात्र बन जायेगा :
राडियाकांड ने दिखाया- पत्रकारिता पतन में भी सबसे आगे
: सपने, संघर्ष और चुनौतियां (3) : प्रभात खबर में जब चुनौतियों के दिन शीर्ष पर थे, तो हर बार बैठक में कहता था कि जिन्हें सुरक्षित भविष्य चाहिए, अच्छा पैसा चाहिए, वे वैकल्पिक रास्ता तलाश सकते हैं, क्योंकि यहां भविष्य अनिश्चित है, संघर्ष है, परिस्थितियां विपरीत हैं : हमारी अपनी आचार-संहिता है, शराब पीकर कोई दफ्तर आये, स्वीकार्य नहीं है :
प्रभात खबर बंद कराने को बड़े घरानों ने साजिश रची थी
: सपने, संघर्ष और चुनौतियां (2) : आनंद बाजार पत्रिका छोड़ कर कुछेक हजार की नौकरी पर यहां आया, कंपनी द्वारा दी गयी थर्ड हैंड मारुति वैन + किराये का घर, यही तब पाता था, आज प्रभात खबर में वरिष्ठ होने के कारण सबसे अधिक तनख्वाह मैं पा रहा हूं. इससे काफ़ी अधिक के प्रस्ताव भी आये : इस गरीब इलाके में पत्रकारिता करने की प्रेरणा हमें यहां खींच लायी… :
तब मैं, केके गोयनका और आरके दत्ता ड्राइविंग सीट पर थे
: सपने, संघर्ष और चुनौतियां (1) : प्रभात खबर को नया इंस्टीट्यूशनल रूप देने के लिए शुरुआत हमने ऊपर से की. पहल कर मैं हटा. केके गोयनका एमडी बने. आरके दत्ता एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर. ये दोनों वे लोग हैं, जिन्होंने जीवन के सर्वश्रेष्ठ वर्ष चुपचाप प्रभात खबर को बनाने में दिये हैं. यह बदलाव यहीं नहीं रुका. पूरे झारखंड को संभालने के लिए दूसरी पंक्ति की एक निर्णायक टीम खड़ी की गयी… :
…कछु कानै, काम जनम भर रानै…
[caption id="attachment_17621" align="alignleft" width="99"]स्व. दिग्विजय[/caption]: उदार व साफ समझवाले दिग्विजय जी : वर्षों पहले पढ़ा. मेनेंदर (ईसा से 342-292 वर्ष पहले) का कथन. जिन्हें ईश्वर प्यार करते हैं, वे ही युवा दिनों में मरते हैं. दिग्विजय जी के निधन की सूचना मिली. यह कथन फिर याद आया. भारतीय राजनीति में 70-75 के बाद लोग युवा दिखते हैं. वह तो 55 के ही थे. लगभग महीने भर पहले फोन से बात हुई. एक अंतराल के बाद. देर तक बातें होती रहीं. पहले निजी, फिर राजनीति और समाज की. बिहार की राजनीति को लेकर लंबी चर्चा हुई.
स्वामीजी की समाधि के संदेश
[caption id="attachment_17033" align="alignleft" width="187"]स्वामी जी ने बैठे-बैठे प्राण त्याग दिए[/caption]एक आदमी एक जीवन में इतना कुछ कर सकता है, परमहंस की उपलब्धियां देख यकीन नहीं होता : राजपरिवार में पैदा हुए, फिर सब छोड़ दिया, फकीर बन गए : एक मित्र छुट्टी मना कर लौटे हैं. इजिप्ट, जॉर्डन वगैरह से. पिरामिड, ममी, डेड सी जैसी चीजें देख कर. प्रकृति के विविध रहस्यों-रूपों से स्तब्ध. कई हजार वर्षो पुराने रहस्य-तकनीक देख कर विस्मित. पर जब से रिखिया (देवघर) से मैं लौटा, जीवन रहस्य देख कर निरूत्तर हूं. बनारस के विश्वविद्यालय प्रकाशन व अनुराग प्रकाशन से छपी कुछ पुस्तकें पहले पढ़ी थीं. विश्वनाथ मुखर्जी की भारत के महान योगी (8-10 खंडों में), डॉ भगवती प्रसाद सिंह की गोपीनाथ कविराज जी पर मनीषी की लोकयात्रा ओद. भारत के महान संतों-साधुओं-सन्यासियों- वैरागियों का जीवन वृत्त. पर कई अविश्वसनीय प्रसंगों को पढ़ कर लगा कि क्या ऐसा सचमुच संभव है? द्वंद्व का भाव. अविश्वास का बोध.