डेढ़ रुपये किलो प्याज?

वाराणसी। गलतियां हैं कि हिंदुस्तान का पीछा छोड़ने का नाम नहीं ले रही हैं। हाल में हिंदुस्तान ने संत कबीर को सौ बरस पहले लहरतारा के एक नाले के पास पैदा किया था। अब दिनांक 19 दिसंबर, 2010 के अंक में पेज तीन कालम एक-दो में एक रुपये तीस पैसे से लेकर डेढ़ रुपये किलो की दर पर बनारस में प्याज बिकवा रहा है। अखबार में वरिष्ठ संवाददाता ‘प्याज की कीमत फिर बढ़ी’ शीर्षक से लिखता है-‘एक पखवारे पूर्व प्याज आठ सौ से साढ़े आठ सौ रुपये प्रति ‘मन’ था। शनिवार को 1300 से 1500 प्रति टन थोक में बिक्री हुई।’

हिंदुस्तान बताए कबीर कब पैदा हुए?

वाराणसी। दैनिक हिंदुस्तान ने 17 दिसंबर, 2010 के अंक में पेज 3 वाराणसी की खबरों में नीचे की ओर एक खबर डबल कालम में छापी है जिसका शीर्षक है ‘कैंट-लहरतारा मार्ग पर मिला एक और कबीर’। इस शीर्षक के अंतर्गत एक लावारिस नवजात शिशु के मिलने की बात बताई गयी है। यह शिशु कैंट-लहरतारा मार्ग पर खुले नाले को ढंकने के लिए रखे एक पत्थर पर रोता हुआ मिला था।

पीएफ अफसरों ने हिंदुस्तान व गांडीव पर मारा छापा

: आज अखबार मैनेजमेंट झुका : 28 कर्मचारियों को परमानेंट करने की घोषणा : गांडीव में 32 लोग कार्यरत मिले जिनका पीएफ नहीं कट रहा था : हिंदुस्तान के स्ट्रिंगरों की लिस्ट निकलवाकर देखा : एक साहसी वकील ने बनारस में कार्यरत बड़े मीडिया हाउसों के अंदर की कड़वी हकीकत को सामने ला दिया और प्रशासन को कार्यवाही करने पर मजबूर कर दिया. काशी पत्रकार संघ के सहयोग से समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन के सचिव दादा अजय मुखर्जी ने वाराणसी में स्थित कई बड़े मीडिया हाउसों में कार्यरत मीडियाकर्मियों की खराब हालत से संबंधित तथ्यवार शिकायत कई सरकारी महकमों में की थी.

‘हिंदुस्तान’ कर रहा है मीडिया का अपराधीकरण!

…शशि जी, वैसे मुन्ना बजरंगी के विज्ञापन से पहले आपका अखबार पांच लाख के इनामी रह चुके माफिया डान ब्रजेश सिंह और त्रिभुवन सिंह के भी विज्ञापन छाप चुका है. इन मान्यवरों के विज्ञापन सिर्फ आपके ही अखबार में छपते हैं. तो मान लिया जाय कि कल के दिन आपके अखबार में निठारी काण्ड के अभियुक्त मोनिंदर सिंह और सुरेंदर कोली या फिर ओसामा बिन लादेन का विज्ञापन भी आ सकता है?...” यह सब एक पत्र में लिखा है, जिसे एक पत्रकार ने हिंदुस्तान के प्रधान संपादक शशि शेखर को भेजा है. पूरा पत्र पढ़ेंगे तो आपकी आंखें खुल जाएंगी कि किस तरह राजनीति के बाद अब मीडिया का अपराधीकरण होने जा रहा है. पत्र लेखक यशवीर के हौसले की हम लोग सराहना करते हैं जिन्होंने पूरी बेबाकी से सच को बयान कर दिया है. -एडिटर