हालत विकट है, संस्थानों की प्रतिष्ठा ध्वस्त होने का दौर है

आलोक कुमारहम उस दौर में प्रवेश करते जा रहे हैं जहां समाज में सही-गलत की दिशा तय करने वाले पारंपरिक तंत्र की प्रतिष्ठा बचाए नहीं बच रही। सदैव आपके साथ होने का दंभ भरने वाली दिल्ली पुलिस हो। या सच्चाई सामने लाने के लिए बनी सीबीआई, या फिर भ्रष्टाचार पर निगरानी रखने वाली सीवीसी हो या न्याय के मंदिर का प्रतीक सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट या निचली अदालत।