कानपुर के प्रेसक्लबिया पत्रकारों और उनकी राजनीति के बारे में मैं क्या कहूं

: अभी काम पूरा नहीं हुआ है : लगभग 9 बरस बाद कानपुर प्रेस क्लब नीयतखोर कार्य समिति के चंगुल से मुक्त हुआ। परिवर्तन के पक्षधर कुछ पत्रकारों ने हिम्मत दिखाई और खुद को अजेय समझने वाले मठाधीशों को पलक झपकते औंधा कर दिया। एक जुलाई को नये चुनाव घोषित हुये हैं। प्रेस क्लब से मेरा सीधा नाता रहा है। मेरे ही महामंत्रित्व काल में इस मंच ने प्रेस क्लब का पुनरुद्धार कराया और ‘पत्रकारपुरम’ आवासीय योजना को मूर्त रूप दिया।

यशवंत जी, डीआईजी प्रेम प्रकाश को हीरो न बनाएं

: दिव्या प्रकरण में कानपुर पुलिस झुकी : प्रबंधक के बेटे को गिरफ्तार करना पड़ा : यशवंत जी, दिव्या प्रकरण में हिन्दुस्तान की तथ्यपरक रिपोर्टिंग के बाद आखिरकार कानपुर पुलिस को स्कूल प्रबंधक के बेटे को गिरफ्तार करना पड़ा। पुलिस शुरू से ही इस मामले में लीपापोती में लगी रही यह प्रमाणित करने के लिए इस केस में पुलिस द्वारा 19 दिनों में दिए गए बयान, उनकी करतूत काफी है। इतना ही नहीं इसी बौखलाहट का नतीजा है कि कानपुर पुलिस प्रशासन ने हिन्दुस्तान पर चौतरफा हमला बोल दिया।