यह एक अदभुत आलेख है. कहानी की तरह. लेकिन पूरी तरह सच्ची. सत्ता के इर्द-गिर्द फैले दलालों की अंतर्कथा. कैसे एक दोस्त अपमान, उपेक्षा और दुर्व्यवहार के चलते विभीषण बनकर पूरी लंका ढहा डालता है. दलाली की लंका के इस भेदिये आर. पांडेय की अंतर्कथा को प्रकाशित किया है प्रभात खबर ने. आर. पांडेय ने कैसे बिनोद सिन्हा के सारे दस्तावेज हासिल किए, किस तरह आर. पांडेय के एक सगे ने उन दस्तावेजों के बदले बिनोद सिन्हा से 10 लाख रुपये में सौदा कर लिया, किस तरह आर पांडेय जीवन-मौत के खौफ के बीच अपने अभियान को चलाते रहे, पूरा विवरण खुद मुहैया करा रहे हैं आर. पांडेय.