[caption id="attachment_16056" align="alignleft"]अखिलेश अखिल[/caption]कोलकाता की महिला पत्रकार के साथ रेल मंत्री ममता बनर्जी और उसके पार्टी समर्थकों द्बारा किए गए असंसदीय व्यवहार से आहत और लोकतंत्र में पत्रकार और पत्रकारिता को बचाने के लिए सक्रिय वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपेयी की चिंता ”कैसे की जाय पत्रकारिता” आज के इस माहौल में सोचने के लिए बाध्य करती है। पुण्यजी जमीनी पत्रकार हैं और जमीनी पत्रकारिता के पक्षधर भी। आज की पत्रकारिता कर रहे बहुत ही कम लोग हैं जो पत्रकारिता की कम हो रही विश्वसनीयता, पत्रकारों के गिरते आचरण, उनके ईमान और पत्रकारीय संस्कार को लेकर चिंतित हैं।