नकारे जाने से बौखलाए हैं बुखारी जैसे लोग

कोई नेता पत्रकार पर हाथ तभी उठाता है जब उसकी हैसियत समाज में खत्म हो जाती है. अहमद बुखारी जिस तरह की राजनीति कर रहे हैं उसे इस देश के मुसलमानों ने नकार दिया है. इसी के परिणामस्वरूप आज बुखारी मारपीट पर उतर आये. इसकी जितनी भी निंदा की जाये कम है. सभ्य समाज में इस तरह की हिंसा का कोई मतलब नहीं है. अहमद बुखारी मुसलमानों को किस तरह गुमराह करने की कोशिश करते रहे हैं, यह सबको पता चल चुका है. अब मुसलमान उन्हें घास नहीं डाल रहा . बौखलाए बुखारी अब खबरों में बने रहने के लिए इस तरह की बदतमीजियों पर उतर आये हैं. दरसल बुखारी की पीड़ा भी जायज है. अयोध्या के फैसले के बाद भी देश में अमन चैन का माहौल रहना बुखारी और तोगड़िया जैसों को दुःख पहुंचाता ही है. अगर इस तरह का प्यार का वातावरण रहेगा तो इन लोगों को कौन पूछेगा.

बुखारी ने सवाल पूछने वाले पत्रकार की दाढ़ी नोंची

मौलाना अहमद बुखारी अब अवाम की जुबान कुचलने पर आमादा हो गये हैं। लखनऊ में आज उन्होंने एक पत्रकार को भरी प्रेस कांफ्रेंस में जमकर पीटा। हाईकोर्ट के फैसले पर मौलानाओं से बात करने यहां आये दिल्ली की जामा मस्जिद के ईमाम अहमद बुखारी ने सवाल पूछने की हिमाकत करने पर भरी प्रेस कांफ्रेंस में दास्तान-ए-अवध के सम्पादक मोहम्मद वहीद चिश्ती की दाढी नोंची, टोपी उछाली और थप्पड़ों की बौछार कर दी।