[caption id="attachment_20168" align="alignleft" width="170"]मदन मौर्या[/caption]एक फोटोग्राफर हैं. मदन मौर्या. दैनिक जागरण, मेरठ में हैं. वरिष्ठ हैं. कानपुर के रहने वाले हैं लेकिन जमाना हो गया उन्हें मेरठ में रहते और दैनिक जागरण के लिए फोटोग्राफरी करते. इस शख्स के साथ अगर आप दो-चार दिन गुजार लें तो आपको समझ में आ जाएगा कि मिशनर जर्नलिस्ट या मिशनरी फोटोग्राफर किसे कहते हैं. इतना खरा और साफ बोलता है कि सुनने वालों को डर लगने लगता है.
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राष्ट्रपति की तस्वीर लेने वाले तीन फोटो जर्नलिस्टों को सम्मन
राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल का गोवा बीच पर फोटा खींचना तीन पत्रकारों को मुश्किल में डाल गया. पुलिस ने उनके खिलाफ सम्मन भेजा. पुलिस ने तीनों का बयान दर्ज करने के बाद उन्हें छोड़ दिया है. दूसरी तरफ इससे नाराज फोटो पत्रकार संघ गोवा ने इसे मीडिया की स्वतंत्रता पर हमला बताया है.
इन फोटोजर्नलिस्ट साथियों को सेल्यूट करती हूं
“अरे भाई, आप लोग तैयार हैं? थोडा जल्दी कर देते, हमें कुछ और भी कार्यक्रम कवर करने हैं…” ये शब्द थे एक बड़े हिंदी अखबार राष्ट्रीय सहारा, लखनऊ के एक फोटोग्राफर साथी के. वे हम लोगों का एक छोटा सा पर सांकेतिक रूप से महत्वपूर्ण कार्यक्रम कवर करने आये थे. जगह था लखनऊ का शहीद स्मारक. दिन बारह अक्टूबर. समय लगभग सवा छह बजे शाम. मौका था आरटीआई एक्ट के पांच साल हो जाने के अवसर पर इन वर्षों के दौरान मार दिए गए आरटीआई शाहीद्दों को श्रद्धांजलि का. अँधेरा हो गया था और उस जगह पर मात्र हम लोगों द्वारा जलाई गयी मोमबत्तियां ही कुछ प्रकाश दे रही थीं. हम लोगों की संख्या दस-बारह की रही होगी. नेशनल आरटीआई फोरम की ओर से मैं और अमिताभ जी थे. यूथ इनिशिएटिव के अखिलेश जी थे. हिमांशु, अभिषेक और आलोक थे. विधि के प्रवक्ता देवदत्त शर्मा थे और दूसरे कुछ साथी थे. श्रद्धांजलि और स्मरण का कार्यक्रम हो गया था. हिंदुस्तान टाइम्स अखबार से फोटोग्राफर अशोक दत्त जी फोटो ले कर जा चुके थे.