मैं दो पुलिसवालों को देखती हूं और उनके बीच तुलना करने लगती हूं. एक हैं कांस्टेबल ब्रिजेन्द्र सिंह यादव जो अभी कुछ दिनों पहले सस्पेंड हुए थे और उससे पहले बर्खास्त. शायद जेल भी जा चुके हैं, कई मुकदमे हैं उन पर. मेरी जानकारी के मुताबिक साधारण आर्थिक हैसियत है उनकी. इसके विपरीत मैं देखती हूं पदम सिंह को. कांस्टेबल थे शायद पर आज डिप्टी एसपी हैं. चूंकि साठ साल पूरे हो गए हैं, इसीलिए सरकारी रूप से रिटायर हो गए हैं पर अभी भी नौकरी बढ़ा कर मुख्यमंत्री की सुरक्षा के इंचार्ज बनाए गए हैं.
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पुलिस के गांधी का गाजीपुर में जोरदार स्वागत
: डबडबा गईं ब्रजेंद्र यादव की आंखें : जान का खतरा बता सुरक्षा की मांग की : सिपाही ब्रजेंद्र यादव बहाल हो गए हैं. उन्हें पुलिस वालों का संगठन बनाने के आरोप में और मीडिया के सामने अपनी बात रखने के आरोप में पुलिस अफसरों द्वारा सस्पेंड कर दिया गया था. इन्हीं ब्रजेंद्र की वर्षों की मेहनत के बाद प्रदेश में आईपीएस एसोशियेसन द्वारा किए जा रहे घोटाले का पर्दाफाश हो पाया.