कभी पिकनिक मनाने गए और कोई गरीब दिखा, उस पर कहानी दे मारी : राजेंद्र यादव

: नई सदी कविता से मुक्ति का दौर है : वह हिंदी साहित्य में एक लंबा रास्ता तय कर चुके हैं। नई कहानी के दौर को आगे बढ़ाने से लेकर हंस जैसी प्रतिष्ठित पत्रिका को लगातार चलाते रहने तक राजेंद्र यादव के नाम से बहुत-सी उपलब्धियां जुड़ी हैं। हाल ही में शब्द साधक पुरस्कार दिए जाने के मौके पर प्रेम भारद्वाज ने राजेंद्र यादव से विस्तृत बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के अंश :

आलोक और प्रेम को ‘लाला जगतज्योति सम्मान’

युवा ग़ज़लकार आलोक श्रीवास्तव और मासिक पत्रिका ‘पाखी’ के संपादक प्रेम भारद्वाज को वर्ष 2010 का लाला जगतज्योति प्रसाद सम्मान दिया जाएगा। साहित्य और पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय युवाओं को दिया जाने का यह प्रतिष्ठित सम्मान प्रतिवर्ष 4 अप्रैल को लाला जगत ज्योति प्रसाद की पुण्य तिथि पर दिया जाता है। इस साल उनकी बारहवीं पुण्यतिथि पर समकालीन साहित्य मंच, मुंगेर की ओर से यह सम्मान, कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और ‘वागर्थ’ पत्रिका के संपादक व आलोचक डॉ. विजय बहादुर सिंह देंगे।