मुख्यमंत्री निशंक को पत्रकार उमेश कुमार ने दी चुनौती

umesh kumarनिशंक: जितना परेशान करना हो कर लो, पर एक आंधी आएगी और तेरा सब कुछ उड़ा ले जाएगी : उत्तराखंड की भ्रष्ट सरकार जवाब दे कि क्या भ्रष्टाचार का खुलासा करना अपराध. अगर है तो मैंने ये अपराध किया है. अगर मैंने स्टिंग करके उत्तराखंड राज्य की 56 हाइड्रो परियोजनाओं को लूटने से बचाया है तो यही काम मेरा दोष व मेरा अपराध बना दिया गया है.

निशंक के सहारे दुकान सजाने वाले ये युवा पत्रकार

[caption id="attachment_18878" align="alignleft" width="80"]चारु तिवारीचारु तिवारी[/caption]राजधानी दिल्ली में पहाड़ के युवा पत्रकारों की एक बड़ी जमात है, जो लंबे समय से उत्तराखण्ड के तमाम सवालों को लेकर सक्रिय रहे हैं। हालांकि पहाड़ के पत्रकारों की यहां एक संस्था उत्तराखण्ड पत्रकार परिषद के नाम से पिछले ढाई दशक से अस्तित्व में है। यह बड़े पत्रकारों का संगठन है, इसलिये चाहकर भी नये लोग इसमें शामिल नहीं हो पाते हैं। ये पत्रकार पहाड़ के अन्य संगठनों के साथ मिलकर काम करते रहे हैं। वे चाहते थे कि एक नया संगठन बनाकर पहाड़ के जनसरोकारों की धारा को पत्रकारिता के मंच से आगे बढ़ाया जाये। एक पूरा ब्लूप्रिंट बनाया गया.

मर्सिया पढ़ना हो तो उत्तराखंड चले आइये

दीपकझूठ के पांव नहीं होते, यह अतीत का फलसफा सा लगता है। पर झूठ के पांव तलाशने हों तो देव-प्रेतात्माओं की ‘मरू-भूमि’ उत्तराखंड में इसके दर्शन किए जा सकते हैं, वह भी बिना किसी लागलपेट के। तहलका को दिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के इंटरव्यू के कुछ अंश सच-झूठ की सियासत का मर्सिया पढ़ने जैसे किसी दर्शन पर सिर खुजाने जैसा है।