[caption id="attachment_20575" align="alignleft" width="94"]बृजेश सिंह[/caption]अब नहीं होगा, नमस्कार मैं रवीश कुमार… पता चला है कि एनडीटीवी ने ‘रवीश की रिपोर्ट’ को बंद करने का फैसला किया है. एनडीटीवी ने मीडिया में वैसी ही छवि बनाई है जैसी टाटा ने व्यापार में. दोनों ने बहुत ही चालाकी से एक खास तरह की प्रो पीपुल छवि गढ़ी. टाटा का मामला लीजिए. वो भी रिलायंस जैसा ही एक कारपोरेट संस्थान है.
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रविश शर्मा बने राज एक्सप्रेस में सर्कुलेशन मैनेजर
: पंकज मचपुरिया ने नई दुनिया से इस्तीफा दिया : पत्रिका, इंदौर से रविश शर्मा ने इस्तीफा दे दिया है. वे सर्कुलेशन मैनेजर थे. रविश ने अपनी नई पारी राज एक्सप्रेस, जबलपुर के साथ शुरू की है. यहां भी उन्हें सर्कुलेशन मैनेजर की जिम्मेदारी सौंपी गई है. वे पिछले दो सालों से पत्रिका के साथ थे. रविश ने अपने करियर की शुरुआत ट्रेनी के रूप में दैनिक भास्कर, इंदौर के साथ की थी. कई वर्षों तक वे भास्कर से जुड़े रहे. पत्रिका ज्वाइन करने से पहले वे भास्कर में असिस्टेंट मैनेजर थे.
रवीश कुमार को डा. राजेंद्र प्रसाद बिहार गौरव पुरस्कार
एनडीटीवी के स्टार रिपोर्टर और एंकर रवीश कुमार को डॉ. राजेंद्र प्रसाद बिहार गौरव पुरस्कार मिला है. उन्होंने यह एवार्ड भागलपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन के हाथों लिया. वैसे तो डॉ राजेंद्र प्रसाद सम्मान सामाजिक क्षेत्र के लिए काम करने वाले लोगों को ही दिया जाता रहा है, और पहले दो साल यह पुरस्कार राजनीतिक हस्तियों को दिए गए थे, लेकिन इस बार सामाजिक सरोकार रखने वाले पत्रकार रवीश कुमार को इस एवार्ड के लिए चुना गया.
वर्ना कोई नौकरी भी नहीं देगा…
रवीश इस दौर के टीवी जर्नलिस्टों के सुपर स्टार हैं. रिपोर्टिंग तो बहुत सारे टीवी जर्नलिस्ट करते हैं, एंकरिंग तो बहुत सारे टीवी जर्नलिस्ट करते हैं, पर रिपोर्टिंग-एंकरिंग करते वक्त खुद को जनता के साथ कनेक्ट कर-रख पाने का माद्दा बहुत कम लोगों में होता है. ये ‘माद्दा’ नामक बल कोई एक दिन में पैदा होने वाली चीज भी नहीं कि किसी मीडिया ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट के मास्टरजी की घुट्टी से मिल जाए या किसी सीनियर जर्नलिस्ट की संगत से पैदा हो जाए. ये माद्दा नामक चिड़िया आपके ज्ञान, आपके जनजुड़ाव, आपके जन प्रेम, आपके आवारापन-बंजारापन टाइप जीवनानुभव, आपकी सचेत सोच और आपकी चीजों के प्रति जनपक्षधर नजरिए से पैदा होती है और यही ‘माद्दा’ आपको जर्नलिस्ट बनाता है. पर अब न तो मीडिया मालिक को ऐसा माद्दा वाला जर्नलिस्ट चाहिए क्योंकि उनके लिए माद्दा का मतलब धंधा है.