यश जी प्रणाम, “रोटी चुराने पर बच्चे को अपाहिज बनाया” (7 september 2010, कुमार सौवीर, भड़ास4मीडिया, दुःख-दर्द) वाक्या पढ़ के मैं भी अन्य पाठकों की तरह उत्तेजित हुआ. स्वाभाविक था. फिर मुझे याद आया एक ई-मेल जो 2004 से इन्टरनेट पे है. उपरोक्त घटना या यूं कहिये एक वाहियात किस्म का नुक्कड़ तमाशा, ईरान का है.
Tag: roti chori
रोटी चुराने पर बच्चे को अपाहिज बनाया
बच्चे मन के सच्चे, सारे जग की आंख के तारे, ये वो नन्हें फूल हैं जो भगवान को लगते प्यारे… लेकिन अब इस गीत को लेकर आप किसी भ्रम में मत रहिये। यह गीत भी अब बहुत पुरानी बेमतल होती कहावतों की तरह है। असलियत हम आपको दिखाते हैं कि बच्चे दरअसल हमारे इंसानी समाज के लिए क्या हैसियत रखते हैं। मामला इसी ब्रह्माण्ड का है। यह सवाल बेमानी है कि यह कहां का मामला है। कहीं का भी हो सकता है?