अखबारों में गांव-देहात को सिर्फ एक फीसदी स्पेस मिलता है

मीडिया का मतलब सीधे सीधे तो यही होता है कि वह गरीब, अविकसित, आम जन की बात करे, उनके हित को ध्यान में रखते हुए काम करे. भारत के संदर्भ में कहें तो मीडिया को गांवों और वहां के निवासियों की बात को प्रमुखता से उठाना चाहिए. शासन की नीतियों का मकसद जिस आखिरी आदमी को लाभ पहुंचाना होता है, वह आखिरी आदमी गांव में ही रहता है. वो कहते भी हैं, आज भी असली भारत गांवों में ही बसता है, शहरों में नहीं.