अखबारों की आजादी पर आघात या लूटने की आजादी पर आघात

: ये झुट्ठे सरकार को नहीं, अपने पत्रकारों को डराना चाहते हैं : कुतर्कों के महान राजा और दैनिक जागरण के कार्यकारी अध्यक्ष संदीप की भाषा किसी पत्रकार की खून चूसने वाले उद्योगपति की ही है। वह आंगन की मुर्गी हैं, कलेजा चूजे का है, उड़ना बाज की तरह चाहते हैं….. सो, दौड़-दौड़ कर आंगम में ही धमाचौकड़ी मचा रहे हैं। संदीप भी जानते हैं कि लोकमान्य तिलक व गांधी जी धन्ना सेठ नहीं थे।

मीडिया पर असली हमला तो पत्रकारों का भयंकर आर्थिक शोषण है

विष्णु राजगढ़िया: ((जवाब- पार्ट दो)) : यकीन मानिये, वेज बोर्ड के कारण कोई अखबार बंद नहीं होने जा रहा : सबका दर्द सुनने-सुनाने वाले पत्रकारों के बड़े हिस्से को श्रमजीवी पत्रकारों के वेतनमान पर रिपोर्ट देने वाले जस्टिस मजीठिया आयोग की वेज बोर्ड रिपोर्ट के बारे में कुछ मालूम नहीं होता, इसका लाभ मिलना तो दूर की बात है.