मुंबई में राज ठाकरे की गुंडई जारी है. गरीब रिक्शवाले राज के गुंडों के शिकार बन रहे हैं. ये देश का दुर्भाग्य है कि मीडिया में खबरें भी दिखाई जा रही हैं लेकिन राज्य और देश की सरकार नपुंसक बनी हुई है. किसी को भी गरीबों से क्या मतलब. जिस तरह से परप्रांतीयों के नाम पर पेट के लिए मेहनतकश लोगों को पीटा जा रहा है, उस पर देश के प्रधानमंत्री क्यों कुछ नहीं बोल रहे हैं.