सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से पूछा है कि क्यों ना टेलीकॉम घोटाले की जांच की निगरानी के लिए एक कमेटी बना दी जाए. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि 2जी मामले में चाहे कोई कितना भी बड़ा आरोपी क्यों न हो उसके बख्शा नहीं जाएगा. दरअसल, मशहूर वकील प्रशांत भूषण ने याचिका दायर करके सीबीआई पर पक्षपात का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि प्रशांत भूषण ने कहा कि सीबीआई ने रिलायंस कम्युनिकेशंस और टाटा को चार्जशीट में शामिल नहीं किया है.
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राडिया टेप प्रकरण : केंद्र सरकार पर बरसे टाटा
टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा ने नीरा राडिया टेपों के मीडिया में बंटने और प्रसारित होने को लेकर सरकार की कड़ी आलोचना की है. टाटा उच्चतम न्यायालय में दाखिल किए गए अपने हलफनामा में कहा कि पिछले महीने उन्होंने जो रिट याचिका दायर की थी कि वह केवल टेप किए गए बातचीत का प्रकाशन रोकने के लिए नहीं बल्कि टेप किए गए बातचीत के अंधाधुंध प्रकाशन के चलते बहुत से लोगों के संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन को रोकने के लिए थी.
किसकी ‘छवि’ की चिंता करे मीडिया?
पढऩे-सुनने में यह कड़वा तो लगेगा, किंतु सच यही है कि इंडिया और भारत नाम के हमारे देश में एक ओर जहां सामर्थ्यवानों को हजारों-लाखों करोड़ लुटने की छूट मिली हुई है, वहीं दूसरी ओर आम आदमी झूठ, फरेब और धूर्तता की विशाल शासकीय चट्टान के नीचे दब छटपटा रहा है। इसकी सुननेवाला, सुध लेनेवाला कोई नहीं। दुखी मन से निकली इस टिप्पणी के लिए क्षमा करेंगे कि न्यायपालिका का आचरण (अपवादस्वरूप ही सही) भी सामर्थ्यवानों का पक्षधर दिखने लगा है।
ओके-टाटा बॉय-बॉय
: कुछ बातें बेमतलब : अब जब बिहार में चुनाव फुनाव खत्म हो गया। सत्य की जीत हुई, असत्य की हार हुई। मुख्यमंत्री ही नहीं, उप मुख्यमंत्री भी बन गए। मंत्री भी बन गए। विभाग भी बंट गए। नीतीश कुमार ये तूने क्या किया। कुछ नहीं ख्याल किया हम कलमघिस्सुओं का। ले दे के इतना ही छोड़ दिया कि कुछ और मंत्री बन सकते हैं। चलो इतना ही काफी है – हमारे टाइम पास के लिए। कर लेंगे। एक आप ही नहीं हो देश में। बहुत सारे लोग हैं टाइम पास के लिए। हम उन लोगों में से नहीं हैं कि बिहार की सड़क से गुजरने वाले ट्रकों से बिहार पुलिस की चौथ वसूली की गिनती करें। ट्रक के गुजर जाने के बाद पढ़ते रहें – ओके-टाटा बॉय-बॉय।
टाटा रिश्वतखोर मंत्री का नाम क्यों नहीं खोलते
देहरादून में एक कार्यक्रम में टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा ने कहा- ”वर्षों पहले मुझसे एक केंद्रीय मंत्री ने करोड़ों रुपये रिश्वत मांगी थी. तब टाटा ग्रुप सिंगापुर एयरलाइंस के सहयोग से घरेलू एयरलाइंस स्थापित करने में जुटा था. एयरलाइन इंडस्ट्री में सबसे आगे रहने के बावजूद टाटा ग्रुप को यह परियोजना शुरू करने में काफी मुश्किलें पेश आ रही थीं. इस बात को मीडिया ने उठाया. तब हमने तीन प्रधानमंत्रियों से मुलाकात की लेकिन किसी ने हमारी कोशिशों को बढ़ावा नहीं दिया. बाद में एक उद्योगपति ने आकर मुझसे कहा कि तुम बेवकूफ हो, केंद्रीय मंत्री 15 करोड़ रुपये की रिश्वत मांग रहा है, उसे क्यों नहीं दे देते, काम हो जाएगा. लेकिन मैं रिश्वत नहीं देना चाहता था और मैंने ऐसा ही किया. 10-12 साल पहले हुई इस घटना के बाद एयरलाइंस खोलने का मेरा सपना अधूरा ही रह गया.”