अख़बार कर्मियों की तनख़्वाह निर्धारित करने के लिए बने छठे वेज बोर्ड की सिफ़ारिशों को मालिक लॉबी किसी हालत में लागू नहीं होने देना चाहती. अख़बार मालिकों की संस्था इंडियन न्यूज़ पेपर्स सोसायटी (आइएनएस) जस्टिस मजीठिया कमेटी की रिपोर्ट का मखौल उड़ाने में जुटी है. अपने कुतर्कों को सही ठहराने के लिए उसने अख़बारों में लेख छापकर और विज्ञापन देकर सरकार पर दबाव बनाने की मुहिम छेड़ी हुई है.
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Wage Board: Why Not For All Journalists & Non-Journalists In Media Industry?
I am wondering as to why The Indian Newspaper Society or the INS is publishing advertisements in newspapers, against the wage board for journalist & non-journalist employees! I am shocked to see the humiliating language that these advertisements contain, saying: “If this is implemented, a peon may receive upto Rs.45,000 a month and a driver may get upto Rs.50,000”.
मीडिया पर असली हमला तो पत्रकारों का भयंकर आर्थिक शोषण है
: ((जवाब- पार्ट दो)) : यकीन मानिये, वेज बोर्ड के कारण कोई अखबार बंद नहीं होने जा रहा : सबका दर्द सुनने-सुनाने वाले पत्रकारों के बड़े हिस्से को श्रमजीवी पत्रकारों के वेतनमान पर रिपोर्ट देने वाले जस्टिस मजीठिया आयोग की वेज बोर्ड रिपोर्ट के बारे में कुछ मालूम नहीं होता, इसका लाभ मिलना तो दूर की बात है.