हर पत्रकार को पढ़ना चाहिए वीरेंद्र जैन का लिखा यह पत्र

: नभाटा के संपादकीय स्टाफ को भेजा था : (आखिरी भाग) :  हिंदी की यह खूबी मानी जाती है कि यह जिस तरह बोली जाती है उसी तरह लिखी जाती है। इसमें मौन (साइलेंट) वर्णों के लिए कोई स्थान नहीं होता। होनेस्ट लिखा होगा तो होनेस्ट ही बोला जाएगा, ओनेस्ट नहीं। शब्द अस्तित्व में है तो वह ध्वनित भी होगा अन्यथा उसका लोप हो जाएगा। वीइकल में इ का पृथक उच्चारण असंभव तो है ही, व्याकरण का नियम इसके लोप हो जाने की वकालत करता है।

नभाटा संपादकीय स्टाफ को वीरेंद्र जैन ने भेजा ज्ञानवर्द्धक पत्र (पार्ट एक)

: ‘वीइकल’ और ‘रॉन्ग’ शब्द का सही उच्चारण करने वाले को प्रेस क्लब में ड्रिंक्स और डिनर का आफर : नवभारत टाइम्स के सभी वरिष्ठ संपादनकर्मियों को मुझ कनिष्ठतम संपादनकर्मी वीरेंद्र जैन का नमस्कार। मुझे आप लोगों से जो दो बातें साझा करनी हैं उनकी शुरुआत सकारण अपनी उपलब्धियों से करनी पड़ रही है। मेरा आग्रह है कि इसे अन्यथा न लें।