लखनऊ के जाने-माने और कलम के धनी पत्रकार अनिल यादव दस दिन की विपश्यना ध्यान पद्धति की कक्षा से वापस लौटे हैं. उन्होंने अपने ब्लाग पर अपने अनुभव की पहली किश्त प्रकाशित की है. शिविर में जाने के दौरान उन्होंने एक छोटी सी सूचनात्मक पोस्ट भी डाली थी. इन दोनों पोस्टों को उनके ब्लाग से साभार लेकर यहां प्रकाशित कर रहे हैं. पहले वह सूचना जो उन्होंने ध्यान शिविर में जाने के दौरान दी थी-