योगेश शीतल ने आईआईएमसी को भेजा अपना जवाब

सेवा में, पाठ्यक्रम निदेशक, हिन्दी पत्रकारिता विभाग, भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली। महाशय, निवेदन पूर्वक सूचित करना है कि 9 अप्रैल की शाम मैं इंडिया गेट पर मनाई जा रही खुशियों में शामिल होने अपने कुछ दोस्तों के साथ पहुंचा था। चूंकि अन्ना हजारे के अनशन के दौरान हमलोग जंतर-मंतर पर और राम मनोहर लोहिया अस्पताल में लगातार बने रहते थे इसलिए ज्यादातर मीडियाकर्मियों से हमारा परिचय हो चुका था और उनसे एक व्यावहारिक रिश्ता बन चुका था।

कंडोम का नृशंस बाजारीकरण

[caption id="attachment_19102" align="alignleft" width="96"]योगेशयोगेश शीतल[/caption]रात के यही कोई ग्यारह बज रहे होंगे। कमरे में दम घुटने लगा था सो नीचे सड़क पर आ गया। ठण्ड की रात अकेले सड़क पर बिताने का वही मजा है जो जेठ की रात कोठे पर गजल सुन कर टहलते हुए बिताने का। फोन पर बात करते-करते रात सड़क पर बिताने की आदत बहुत पहले ही लग चुकी थी। घर में कोई सुन न ले इसलिए बात करने सड़क पर आ जाना और फिर नोकिया का बैटरी बैक-अप भी तो अच्छा था तब। धीरे-धीरे आदत लग गई।