Samar Anarya : मुकेश अम्बानी पर मुकदमा. उस मुकेश अम्बानी पर जो इस देश के मुनाफाखोर पूंजीवाद का सबसे गलीज चेहरा है. वो जिसके दिल्ली आने पर साउथ और नार्थ, दोनों ब्लॉक्स में काम रुक जाता है. उस अम्बानी पर जिसकी निगाह-ए-करम के लिए इस देश के हुक्मरान तरसते फिरते हैं. उस अम्बानी पर जिसके हर सरकार में अपने प्रमोद महाजन, अपने मुरली देवड़ा होते हैं. उस अम्बानी पर जो देश के तेल मंत्री को मिली धमकियों की स्वीकारोक्ति के बाद की तमाम फुसफुसाहटों में होता है.
'आप' की राजनीति की सारी दिक्कतों के बावजूद उसी अम्बानी पर एफआईआर बीते तीन दशक में सिर्फ मध्यवर्ग की ही सही, जनता का सत्ता से सबसे सीधा टकराव है. और याद रखियेगा, कि यह हमला 1986-87 में मंडल मसीहा वीपी सिंह के हमलों के बाद पहला है और एक मामले में उनसे बड़ा भी- केजरीवाल और 'आप' वीपी सिंह की तरह राजनीति के तपे तपाये घोड़े नहीं हैं, दो-दो तीन बार उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य की कमान संभल सीख पढ़ के नहीं आये हैं. मैं कितनी भी हल्की सही, पूँजीवाद से इस सीधी भिड़ंत के लिए आप को बधाई देता हूँ और इस एक मुद्दे पर उनके साथ खड़ा हूँ.
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारवादी अविनाश पांडेय समर के फेसबुक वॉल से.
Amitabh Thakur : केजरीवाल अम्बानी कथा
अम्बानी पर मुकदमा
मेरी निगाह में
एक ऐसी खबर
जिससे लगा कि
इस देश में
क़ानून का राज
आ रहा है,
आज नहीं तो कल
हर सख्स
चाहे मैं या आप
क़ानून की गिरफ्त में
हो सकते हैं,
इस मुकदमे ने
मेरा मन जीत लिया
इस मुकदमे ने
केजरीवाल को
मेरी निगाहों में
सच्चा हीरो बना दिया,
आज के दिन
केजरीवाल के
सत्रह खून
माफ़ कर देता
यदि मैं जज होता,
क्योंकि
अभी तक
हर आदमी
यही मानता था
यह देश
चलता है
इन दौलत वालों से
ये सारे नेता
चलते हैं
इन दौलत वालों से
अरे केजरीवाल
तुमने पहली बार
खुद आगे बढ़ कर
दौलत वाले को
क़ानून बतला दिया
मुझ जैसे नाचीज़ का
दिल हंसा दिया,
जय हिन्द !
यूपी कैडर के आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर के फेसबुक वॉल से.