आगरा में रविवार को दैनिक जागरण ने पच्चीस साल पूरे किये. नरेंद्र मोहन गुप्त ने 30 अक्टूबर 1986 को दैनिक जागरण की नींव यहां रखी थी. जागरण यूनिट में इस दौरान हवन पूजन का कार्यक्रम हुआ. जागरण के रजत जयंती के अवसर पर डाक विभाग ने एक विशेष आवरण और डाक टिकट जारी किया. इस मौके पर अखबार ने अपने इंटरनेट सेक्शन में यहां से प्रकाशित पहले दिन के अखबार को पहले पन्ने पर जगह दी है. नीचे जागरण में इस मौके पर प्रकाशित खबरें. जागरण ने अपने पाठकों का भी आभार जताया है.
आगरा। ताज नगरी में दैनिक जागरण ने रविवार को पच्चीस बरस पूरे कर लिए हैं। रविवार को सफलता के इस पड़ाव रजत जयंती पर आयोजित समारोह में वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच हवन-यज्ञ में आहुति दी गई। निदेशक धीरेंद्र मोहन गुप्ता और तरुण गुप्ता ने संस्थापक स्व. पूर्णचंद गुप्त और पूर्व प्रधान संपादक स्व. नरेंद्र मोहन गुप्त के चित्र पर माल्यार्पण कर समारोह का शुभारंभ किया।30 अक्टूबर 1986 को दैनिक जागरण के पूर्व प्रधान संपादक स्व. नरेंद्र मोहन गुप्त ने ताज नगरी को दैनिक जागरण की सौगात दी थी।
निदेशक धीरेंद्र मोहन गुप्ता ने कहा कि सफलता के इस पड़ाव पर पहुंचने में निष्पक्ष पत्रकारिता के साथ पाठकों के प्रेम और सहयोग की महती भूमिका रही है। संस्थान के कर्मचारियों में जोश भरते हुए उन्होंने कहा कि इसी जज्बे के साथ प्रकाश फैलाते रहें। निदेशक तरुण गुप्ता ने कहा कि ताज नगरी में ये पच्चीस बरस बहुत चुनौतियों भरे थे, फिर भी हमने कामयाबी की नई रेखाएं खीचीं। जागरण परिवार के सदस्यों की इसी मेहनत और लगन से भविष्य में भी हम सफलता के नये मुकाम हासिल करेंगे।
समारोह में 25 बरस से जुड़े रहने वाले जागरण परिवार सदस्यों को निदेशक धीरेंद्र मोहन गुप्ता ने शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। इस दौरान समाचार संपादक आनंद शर्मा, यूनिट मैनेजर सीएस शुक्ला, क्षेत्रीय विज्ञापन प्रबंधक मुकेश मैनी, विज्ञापन प्रबंधक जुगल किशोर, प्रसार प्रबंधक सौरभ मित्तल मुख्य रूप से मौजूद थे।
आभार
मय का चक्र तेजी से घूमता है। आपके बीच हमें 25 बरस हो गए और अब हम 26वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। 25 वर्ष पहले आज ही के दिन जब दैनिक जागरण ने ब्रज की इस धरा को नमन करते हुए कदम रखा था तो पाठकों ने हमें हाथों हाथ लिया। गंगा-जमुनी संस्कृति को हमने आत्मसात किया और ब्रजवासियों ने दैनिक जागरण को। रजत जयंती वर्ष पूरा करते समय हमें बरबस यह स्मरण हो आता है कि इस भूमि के कण-कण में किस तरह भारतीय संस्कृति की परंपराओं के साथ-साथ सद्भाव की विरासत और भक्ति भावना समाहित है। यहां बांके बिहारी की कृपा का रस बरसता है, तो सम्राट अकबर के दीन ए इलाही के पैगाम का असर भी दिखता है। श्रृंगी ऋषि ने इसी पवित्र भूमि पर अपना आश्रम बनाया। महर्षि परशुराम की ननिहाल भी यहीं थी और उनकी मां रेणुका के नाम पर ही रुनकता है। यहां उनका प्राचीन मंदिर भी है। यहां सूर साधना स्थली भी है, जहां उनकी अपने गुरू बल्लभाचार्य से मुलाकात हुई। बटेश्वर शहर का प्रमुख तीर्थ स्थल है, जहां 108 शिव मंदिर यमुना के किनारे बने हुए हैं। यहीं जैन तीर्थंकर नेमिनाथ की तीर्थस्थली है। नाथ संप्रदाय का भी यह प्रमुख नगर है, जहां नामदेव, उदयनाथ और लालनाथ ने विभिन्न मंदिरों की स्थापना की। मुगलिया सल्तनत ने यहां ताजमहल के रूप में बेमिसाल इमारत पेश की, जिसे दुनिया प्रेम के अनोखे उपहार के रूप में जानती है। यह एक ऐसा उपहार है जो आगरा ही नहीं, भारत की भी पहचान है। इस शहर से संविधान निर्माता डा.भीमराव अंबेडकर का भी लगाव रहा। 1956 में उन्होंने यहां चक्कीपाट पर भगवान बुद्ध की प्रतिमा का लोकार्पण किया। पूरे देश में सबसे ज्यादा अग्रवंशी आगरा में ही हैं। इसीलिए एक समय यह शहर अग्रवन के नाम से भी जाना जाता था। आगरा की एक पहचान साहित्य और संस्कृति के स्थल के रूप में भी है और उद्योग नगरी के रूप में भी। 25 बरस का यह कालखंड अपने को साबित करने की यात्रा तो है ही, आपकी उम्मीदों पर खरा उतरने और आपका विश्वास जीतने का अनुभव भी है। आपके स्नेह, विश्वास और सहयोग के संबल के चलते ही हम शहर के क्षितिज पर छाए और अपनी विशिष्ट पहचान स्थापित करने में कामयाब रहे। यह हमारी लगन में आपके अविस्मरणीय सहयोग की ही परिणति है कि दैनिक जागरण शहर की पहचान ही नहीं, धड़कन भी बन गया है। शून्य से शिखर की इस यात्रा में 26वां बरस हमारे लिए एक पड़ाव भर है। मंजिल अभी और आगे है। आप सब हमारे हमराही भी हैं और मार्गदर्शक भी। हमारे इस गर्व में आपकी सक्रिय-सक्षम भागीदारी है कि शहर की दशा-दिशा तय करने में हम एक सशक्त आवाज हैं। हमारे इस गर्व में समाहित है आप सब शहरवासियों का प्यार, जिसने 25 बरस पहले नवांकुरित हमारे इस प्रयास को अपने आशीष से सींचकर वृक्ष बनाया। इस सफर के साक्षी आगरा शहर का हृदय से आभार। इस कामयाब सफर के साथ हम एक बार फिर उन मूल्यों-मान्यताओं के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करते हैं, जिनके लिए दैनिक जागरण जाना जाता है और जो उसकी पहचान हैं। दैनिक जागरण न केवल भारतीय मूल्यों का संवाहक है, बल्कि उसके प्रति समर्पित भी है। समरसता और सद्भावना के साथ राष्ट्रभाव का जागरण हमारा मूल मंत्र है और हम इसी से पे्ररित होते रहेंगे। हम इसके प्रति भी संकल्पबद्ध हैं कि आने वाले समय में दैनिक जागरण आगरा का समग्र रूप से नेतृत्व कर सके। हमारी आकांक्षा है कि जैसे दैनिक जागरण ने डिजिटल युग में प्रवेश कर अपनी क्षमता बढ़ाने के साथ अपनी अलग पहचान बनाई है वैसे ही आगरा भी अपनी पूरी ऊर्जा और आभा के साथ चहुंमुखी प्रगति कर सके। धन्यवाद। साभार : जागरण