कुरुक्षेत्र : आतंकी जुबैर का साथी और कथित आतंकी इख्तियार भारत में एक मान्यता प्राप्त पत्रकार के तौर पर रह रहा था। इस बात का खुलासा होते ही देश की सुरक्षा पर एक बार फिर सवाल खड़ा हो गया है। यूपी पुलिस द्वारा इख्तियार की गिरफ्तारी के साथ ही पानीपत पुलिस के सुरक्षा प्रबंध के साथ-साथ खुफिया तंत्र की भी पोल खुल गई है। यूपी पुलिस द्वारा किए गए खुलासे के बाद पानीपत पुलिस इस मामले में मुंह छिपाते हुए घूम रही है और पूरे प्रकरण से पल्ला झाड़ रही है।
आलम यह है कि यूपी पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने के 4 दिन बाद भी पानीपत पुलिस ने इस बारे में कुछ भी बोलना मुनासिब नहीं समझा है। कथित आतंकी इख्तियार संजय चौक के पास स्थित हाफिज आरिफ के मकान में किराए पर रहता था। गुरुवार की सुबह लगभग सवा 5 बजे पहुंची यूपी पुलिस उसे यहां से गिरफ्तार कर ले गई। उसके कमरे से एक एलसीडी, कंप्यूटर और कुछ किताबें भी बरामद की गई हैं। गिरफ्तार करने के आई पुलिस ने मकान मालिक को कुछ भी बताने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि उसके खिलाफ यूपी में मामला दर्ज है।
मकान मालिक हाफिज आरिफ के अनुसार उन्होंने यह मकान मार्च में ही खरीदा था। उस समय इख्तियार किराए पर रह रहा था। इस कारण उससे मकान खाली नहीं कराया। लगभग 30 वर्षीय इख्तियार अकेले रहा करता था। कभी-कभी उसकी मां मिलने के लिए आती थी। इख्तियार के मामू भी पानीपत में ही रहते हैं। यहां उन्होंने एक होटेल खोल रखा है। यूपी पुलिस जब इख्तियार को गिरफ्तार करने के लिए आई थी, उस समय उसकी मां इख्तियार के पास न होकर मामू के पास थी।
कैसे बना मान्यता प्राप्त : पत्रकार जनसंपर्क विभाग की मानें तो इख्तिायार को इसी वर्ष मान्यता प्राप्त पत्रकार का दर्जा विभाग की ओर से दिया गया था। उसने विभाग को इससे संबंधित सभी कागजात उपलब्ध कराए थे। उसके आधार पर ही उसे यह दर्जा दिया गया था। मान्यता प्राप्त पत्रकार के आतंकवादी निकलने की सूचना विभाग में पहुंचते ही हड़कंप मच गया है।
उत्तर प्रदेश पुलिस ने इख्तियार के संपर्क में रहे उन सभी नेताओं, धार्मिक संगठनों और पत्रकारों पर नजर रखना शुरू कर दिया है जो उसके संपर्क में थे। सूत्रों की मानें तो इख्तियार यहां पर गिने चुने पत्रकारों के ही संपर्क में था। इसके ठीक उलट स्थानीय नेताओं और धार्मिक संगठनों के बीच उसकी अच्छी-खासी गुडविल थी।
गिरफ्तार किए गए इख्तियार के मोबाइल की कॉल डीटेल और कम्प्यूटर से किए गए मेल्स की जांच कर रही है। इसके आधार पर आगे की गुत्थी सुलझाने में उत्तर प्रदेश की पुलिस तेजी से जुट गई है। इस मामले में जिला जनसंपर्क अधिकारी सुरेन्द्र कुमार ने बताया कि उनके कार्यकाल से उसे मान्यता प्रदान नहीं की गई है। रेकॉर्ड की जांच करने के बाद ही पता चलेगा कि उसने क्या-क्या दस्तावेज उपलब्ध कराए थे। (एनबीटी)