मशहूर समाजशास्त्री प्रो. आनंद कुमार उत्तर-पूर्वी दिल्ली से लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं. लोकतंत्र के हक में राजनीति में पढ़े-लिखे और अनुभवी व्यक्तियों की जरूरत को देखते हुए हमें पार्टीलाइन से बाहर जाकर भी उनका समर्थन करना चाहिए.
इनकी राजनीतिक यात्रा का आरंभ 1964 में समाजवादी राष्ट्र नायक डॉ. राममनोहर लोहिया की प्रेरणा से हुआ और इन्हें 70 के दशक में लोकनायक जयप्रकाश नारायण का मार्गदर्शन मिला. समाजवादी आंदोलन, जे.पी. आंदोलन, आपातकाल विरोधी प्रतिरोध से लेकर लोकशक्ति अभियान, समाजवादी अभियान, लोक राजनीति मंच, जे.पी. फाउंडेशन और जनलोकपाल आंदोलन के सक्रिय व लोकप्रिय कार्यकर्ता के रूप में इन्होंने विभिन्न सामाजिक-राजनीतिक मोर्चों पर अपनी सक्रिय भागीदारी की है. इन्हें राजनारायण, चंद्रशेखर, कर्पूरी ठाकुर, रविराय, मधु दंडवते, मधु लिमये, अर्जुन सिंह भदौरिया, सरला भदौरिया, किशन पटनायक, रामधन, कृष्णकांत, जनेश्वर मिश्र, ब्रजभूषण तिवारी और मोहन सिंह जैसे नेताओं का सहयोगी बनने का सुअवसर मिला.
इन्होंने बी.एच.यू., जेएनयू और शिकागो विश्वविद्यालय में उच्च् शिक्षा प्राप्त् की. इन्होंंने बी.एच.यू., जेएनयू के अलावा संयुक्त राज्य अमेरिका, जर्मनी, ऑस्टि्या, अर्जेंटीना और फ्रांस में भी अध्यापन किया है. छात्र आंदोलन में सक्रिय आनंद कुमार बनारस और जेएनयू के छात्र संघों के अध्य्क्ष चुने गए. फिर केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के शिक्षकों के राष्ट्रीय अध्य्क्ष के रूप में विभिन्न आंदोलनों में सक्रिय रहे. ये पिछले तीन दशक से देश के प्रतिष्ठित विश्वाविद्यालय – जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं और हाल ही में इनको सर्वसम्मरति से ‘भारतीय समाजशास्त्र परिषद’ का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है.
जेएनयू के शिक्षक गंगा सहाय मीणा के फेसबुक वॉल से.