कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरभद्र सिंह द्वारा मीडियाकर्मियों के सवालों पर नाराज होकर उनके कैमरे तोड़ने की धमकी देने पर बुधवार को कांग्रेस पार्टी ने माफी मांगी। कांग्रेस के प्रवक्ता संदीप दीक्षित से जब इस घटनाक्रम के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अगर कोई भी आहत हुआ है तो हम माफी मांगते हैं। वीरभद्र की टिप्पणी को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए पार्टी ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान इस तरह की चीजें हो जाती हैं।
दीक्षित ने कहा कि हमें घटना के पीछे का संदर्भ नहीं पता है। चुनाव प्रचार के दौरान कई बार कुछ लोग नाराज और निराश हो जाते हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। वीरभद्र सिंह एक वरिष्ठ नेता हैं। कई बार चुनाव प्रचार के बीच में मानसिक या शारीरिक दबाव में इस तरह की चीजें हो जाती हैं। वीरभद्र सिंह ने कल शाम कुल्लू जिले में मीडियाकर्मियों के सवाल पर नाराज होकर उनके कैमरे तोड़ने की धमकी दे डाली थी। संवाददाताओं ने उनसे भाजपा की ओर से उन पर नये सिरे से लगाये जा रहे आरापों पर प्रतिक्रिया मांगी थी।
दूसरी तरफ धमकी देने के 24 घंटे के भीतर वीरभ्रद सिंह ने भी माफी मांग ली। उन्होंने बुधवार को कहा कि वह मीडिया का सम्मान करते हैं। सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि मैं मीडिया का सम्मान करता हूं और मेरा इरादा किसी को चोट पहुंचाने का नहीं था। जब पत्रकारों ने मंगलवार शाम पांच बार राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके वीरभद्र से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा उन पर लगाए गए आरोपों के सम्बंध में पूछा तो उनकी प्रतिक्रिया थी, मैं कैमरे तोड़ दूंगा।
उन्होंने कुल्लू जिले में चुनाव अभियान के दौरान टीवी समाचार चैनलों के समक्ष खुद पर लगे आरोपों को आधारहीन बताते हुए खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि मैं चार नवंबर को चुनाव के बाद इन सभी मुद्दों से निपटूंगा। अपना बचाव करते हुए सिंह ने कहा कि पूरी आमदनी बगानों से आई है। उन्होंने कहा कि मेरे पास दूसरी कोई आमदनी नहीं है। लगभग सारी आमदनी बगानों से आई है और अन्य स्रोतों से न के बराबर आमदनी है। मीडियाकर्मियों पर अपनी नाराजगी के बारे में सिंह ने कहा कि कभी-कभी संवाददाता इंतजार नहीं करते और अचानक प्रश्न पूछना शुरू कर देते हैं। यहां भी (शिमला में) यही हुआ।
वहीं, मीडियाकर्मियों के प्रति वीरभद्र के रवैये पर भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष माकर्डेंय काटजू ने खेद जताया। उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिज्ञ मीडिया के प्रति बहुत असहिष्णु होते जा रहे हैं। काटजू ने कहा कि शिमला में मंगलवार को सिंह का आचरण अलोकतांत्रिक था और एक लोकतांत्रिक देश में राजनीतिज्ञों से अपेक्षित आचरण के विपरीत आचरण का ताजा उदाहरण था।