चंदौली में शिक्षिका ने पत्रकार पर लगाया यौन शोषण का आरोप

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वैलेंटाइन वीक में एक पत्रकार की प्रेम कहानी का चैप्टर उस वक्त क्लोज हुआ जब प्यार में धोखा खाई प्रेमिका थाने पहुंच कर उस पर यौन शोषण करने का संगीन आरोप लगाने लगी। पत्रकार भी कहां कम था, उसने भी पत्रकारिता का रौब गांठते हुए मामले को सिरे से खारिज करने का पुलिस पर दबाव बनाया और फिर शुरू हुई पुलिस की जी हुजूरी और बलात्कार का आरोपी पत्रकार बन गया पुलिस का मेहमान।

मामला यूपी के चंदौली जिले के अलीनगर थाना क्षेत्र का है, जहां एक तथाकथित पत्रकार व निजी कान्वेंट स्कूल के मैनेजर पर उसी विद्यालय की शिक्षिका ने यौन उत्पीड़न का सनसनीखेज आरोप लगाया है। पीडिता ने बताया की विगत छह माह से पत्रकार जकाउल्ला उसके साथ प्रेम करने का नाटक कर यौन शोषण करता रहा और इसी बीच पत्रकार ने अन्यत्र अपनी शादी कर ली और शिक्षिका को बरगलाने लगा। नौबत जब मारपीट तक आई तो मामला अलीनगर थाने पंहुचा लेकिन करीब चार घंटे चली पंचायत के बाद पत्रकारिता का धौंस जमाते हुए पत्रकार वहां से चलता बना और पीडिता न्याय की गुहार लगाते हुए पुलिस के सामने गिड़गिडाती रही। फिर भी पुलिस का दिल नहीं पसीजा।

पीडिता के अनुसार पुलिस ने उसे मेडिकल के बाद एक सप्ताह तक नारी निकेतन भेजने की बात कह कर डरा रही है ताकि वह अपनी तहरीर वापस ले ले। पुलिस के इन कृत्यों से क्षुब्ध पीडिता की अभिभावक बन कर आई उसकी बड़ी बहन ने आरोपी पत्रकार के मुंह पर थूक कर अपनी भड़ास निकाली। पुलिस के असयोगात्‍मक रवैया से निराश होकर पीडिता घर चली गयी। बता दें कि जकाउल्ला कुछ माह पूर्व तक वाराणसी से प्रकाशित अख़बार निष्पक्ष दैनिक समाचार ज्योति का बीट रिपोर्टर हुआ करता था, जिसे ब्यूरो प्रमुख केसी श्रीवास्तव ने लापरवाही के आरोप में हटा भी दिया था। लेकिन आरोपी अब तक उसी बैनर का रौब जमाता चला आ रहा था।

पत्रकारिता की आड़ में विद्यालय का धंधा जब फलने फूलने लगा तो जरूरतमंद असहाय लडकियों को प्रेम का सब्जबाग दिखाने का धंधा शुरू किया और जब पोल खुली तो थाने में जलालत झेलनी पड़ी। करीब महीने भर पूर्व एक निजी चैनल के डिबेट कार्यक्रम के दौरान नगर के जाने माने प्रोफ़ेसर डा. अनिल यादव कहा था कि आजकल निजी विद्यालयों की आड़ में लडकियों का शारीरिक शोषण तेजी से चल रहा है। उनके इस बात की पुष्टि इस घटना से हो भी गई। श्री यादव ने इसे काफी शर्मनाक बताया साथ ही यह भी कहा कि हर बुराई को छिपाने की एक समयावधि होती है अब समय आ गया है शोषित व्यक्ति अब सामने आने से नहीं डर रहा है ये तो शुरुआत है अभी आगे आगे देखिये कितनों की कलई खुलती है।

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