जनसंदेश टाइम्‍स, बनारस के हालात खराब, अफरा-तफरी का माहौल

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: दो महीने से नहीं मिली सैलरी : जनसंदेश टाइम्‍स, बनारस में हालात काफी बिगड़ चुके हैं. पिछले दो महीनों से कर्मचारियों का पगार नहीं मिला है. कर्मी बिलबिला गए हैं. अखबार में भगदड़ जैसी स्थिति है. कर्मचारी अपने अपने तरीके से नई नौकरी की तलाश कर रहे हैं, जिसे मौका मिल रहा है वो निकल जा रहा है. बताया जा रहा है कि लापरवाह रवैये के चलते दो वरिष्‍ठ पत्रकारों ने प्रंबंधन को अपने इस्‍तीफे भी सौंप दिए, लेकिन कर्मचारियों की लगातार कम होती संख्‍या के चलते इसे मंजूर नहीं किया गया. 

बताया जा रहा है कि कर्मचारियों को अभी तक अगस्‍त और सितम्‍बर की सैलरी के दर्शन नहीं हुए हैं. उनका आर्थिक ढांचा खराब हो चुका है. पत्रकार तथा गैर पत्रकार कर्मचारी उस दिन को कोस रहे हैं, जब ये लोग अच्‍छे संस्‍थानों से इस्‍तीफा देकर जनसंदेश टाइम्‍स ज्‍वाइन करने पहुंचे. सूत्र बता रहे हैं कि अखबार के खराब हालात से नाराज सिटी इंचार्ज राजनाथ तिवारी तथा पेज वन की जिम्‍मेदारी संभालने वाले लक्ष्‍मी द्विवेदी ने प्रबंधन को अपना इस्‍तीफा सौंप दिया था, लेकिन इन लोगों का इस्‍तीफा मंजूर नहीं किया गया.

खबर है कि रितेश अग्रवाल को प्रभार मिलने के बाद से हालात और खराब हुए हैं. एक पेजीनेटर राजकुमार कुशवाहा तथा सब एडिटर संतोष पांडेय यहां से इस्‍तीफा देने के बाद मध्‍य प्रदेश के एक अखबार से जुड़ चुके हैं. सूत्र बता रहे हैं कि अच्‍छे लोगों के जुड़ने के बावजूद उच्‍च स्‍तर पर फर्जी टाइप लोगों की नियुक्ति ने अखबार का बंटाधार कर दिया है. कई अपराधी किस्‍म के लोग भी जोड़े गए. इससे भी अखबार की किरकिरी हुई लेकिन दुर्दिन खत्‍म नहीं हुए. बताया जा रहा है कि कई कर्मचारी अब दूसरे ठिकानों की तलाश में जुट गए हैं.

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