नई दिल्ली : समाचार पत्र प्रकाशित करने वाली कंपनी अमर उजाला समूह विदेशी निजी इक्विटी कंपनी डीई शा की हिस्सेदारी खरीदने की प्रक्रिया में है और बाद में इसे नये निवेशक को बेचने पर विचार करेगी. डीई शा ने 2007 में अमर उजाला पब्लिकेशंस में 18 प्रतिशत हिस्सेदारी 117 करोड़ रुपये में खरीदी थी. बाद में दोनो पक्षों में मतभेद हो गया. मीडिया कंपनी ने आरोप लगाया था कि संबंधित विदेशी निवेशक विदेशी निवेश संबंधी कुछ नियमों का उल्लंघन कर रहा है.
हालांकि दोनों पक्षों के बीच समझौता हो गया जिसके तहत अमर उजाला डीई शा की हिस्सेदारी खरीदने पर सहमत हुई और विदेशी निजी इक्विटी कंपनी को इससे बाहर निकलने का मौका दिया. इस बारे में संपर्क किये जाने पर समूह के प्रवक्ता ने प्रेट्र से कहा, ‘‘हम डी ई शा की हिस्सेदारी खरीदने की प्रक्रिया में हैं. बाद में हम इसे नये निवेशक को बेचने पर विचार करेंगे.’’ हाल की रिपोर्ट के अनुसार जी समूह अमर उजाला को खरीदने के लिये बातचीत कर रहा है.
नीचे अमर उजाला समूह के प्रवक्ता का कहना है कि कंपनी ने डीई शॉ से अपने शेयर खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. प्रक्रिया पूरी होने के बाद इस हिस्सेदारी को किसी नए निवेशक को बेचने के मौके तलाशे जाएंगे. इस संबंध में 4 नवंबर 2012 को एक अन्य कंपनी से हुए कथित एमओयू (मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग) के संबंध में प्रवक्ता ने साफ तौर पर कहा कि उस दस्तावेज की कोई कानूनी वैधता नहीं है और न ही उसमें कंपनी के सभी संबंधित पक्षों के हस्ताक्षर हैं. लिहाजा इस संबंध में कंपनी की कोई वैधानिक जिम्मेदारी भी नहीं है. कथित एमओयू सिर्फ एक कागज का टुकड़ा है इसलिए उसमें लिखी बातों का कोई औचित्य नहीं है. कथित एमओयू में प्राथमिक तौर पर एक करार की बात की गई है जिस पर उन सभी संबंधित पक्षों की सहमति और उसके साथ हस्ताक्षर की भी जरूरत होती है जिनके नाम इसमें आए हैं.
कथित एमओयू के कानूनी तौर पर गैर बाध्यकारी होने के चलते दिल्ली हाईकोर्ट ने किसी तरह का स्थगन आदेश नहीं दिया बल्कि 31 दिसंबर तक लागू होने वाली कुछ शर्तों के उल्लंघन से बचने को कहा है. हाईकोर्ट के आदेश के बाद ये स्पष्ट है कि अमर उजाला के शेयरों की खरीद और शेयरों की किसी दूसरी कंपनी को बिक्री पर कोई रोक नहीं लगाई गई है. जी समूह द्वारा ये सारी कवायद भ्रम फैलाने के लिए की गई और इसका कोई कानूनी आधार नहीं है.
अमर उजाला में प्रकाशित खबर.
