तकनीकी रूप से गलत खबर लखनऊ के बड़े पत्रकार के अप्रेजल में!

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जनाब लखनऊ के बड़े पत्रकार माने जाते हैं. खुद दूसरों का इंटरव्‍यू लेते हैं लेकिन अपना देने में हिलते हैं कि कहीं पोल खुल ना जाए. इनकी खासियत है कि अपने अखबार में सपा के खिलाफ छपने वाली खबरों को एडिट कर देते हैं. खुद सरकार के पक्ष में घुमा फिराकर खबरें लिखने में महारत रखते हैं. जब तब दिल की बात भी कहते रहते हैं. जनाब कुछ महीने पहले लांच हुए पचास रुपए वाले अखबार में सीनियर पोस्‍ट पर हैं. अखबार में दो नंबर के आदमी हैं. यानी संपादक के बाद इनका ही नंबर आता है. आजकल पत्रकार महोदय अप्रेजल भरकर प्रमोशन पाने की कोशिश में लगे हुए हैं.

पूरी कहानी इसी अप्रेजल के लिए लगाए गए स्‍टोरी के बारे में है. जनाब सपा से अपनी नजदीकी दिखाने के लिए बसपा के एक राज्‍यसभा सांसद के खिलाफ स्‍टोरी प्रकाशित की थी. सांसद लखनऊ से ही जुड़े हुए हैं. अखबार की लांचिंग के आसपास ही यह खबर प्रकाशित हुई थी. खबर में सांसद द्वारा अपनी निधि पैसों वाले के एक सार्वजनिक संस्‍था को देने के बारे में थी. इस खबर में इन्‍होंने घुमा फिरा के वर्तमान सरकार को खुश करने के लिए लिखी थी. खबर तकनीकी रूप से गलत थी, लिहाजा अखबार को बाद में इस मामले में छापकर सफाई भी देनी पड़ी थी. अलग बात है कि सफाई छोटी सी खबर लिखकर निपटा दी गई थी.  

सूत्र बताते हैं कि जनाब इसी खबर को अप्रेजल के साथ लगाकर प्रमोशन और इंक्रीमेंट पाने की तैयारी में हैं. तकनीकी रूप से गड़बड़ इस खबर से दोहरा लाभ पाने की रणनीति बना रहे हैं. बड़े पत्रकार हैं, लिहाजा ये लाभ उठा भी सकते हैं. इस खबर से सरकार भी खुश और इनका अप्रेजल भी दुरुस्‍त, यानी एक टूटहा तीर से दो होंगे काना. जनाब पुराने अखबार में तो कभी कभार खबरें लिख लेते थे, पर नए अखबार में तो गिनी चुनी खबरें ही हैं. मजबूरी में इसी खबर को अप्रेजल में ठोंक दिया है. वैसे इंटरव्‍यू लेने के माहिर माने जाते हैं, लेकिन इनके इंटरव्‍यू की लिस्‍ट में बहुसंख्‍यक अल्‍पसंख्‍यक हो गए हैं. (कानाफूसी)

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