नवीन जिंदल ने जी ग्रुप के लोगों के खिलाफ जो शिकायत की थी, उस पर तो दिल्ली पुलिस से लेकर मीडिया वाले खूब सक्रिय हो गए थे और पूरे प्रकरण को खूब उछाला गया. बहसें हुईं. बयान जारी हुए. ब्राडकास्ट एडिटर्स एसोसिएशन सक्रिय हो गया. पर जब नवीन जिंदल पर ज्यादा गंभीर आरोप लगे, उनका खिलाफ सीबीआई ने रिपोर्ट दर्ज की तो इस बात की मीडिया में कोई चर्चा नहीं है. केवल फटाफट खबरों और टाप हंड्रेड खबरों में एक एक लाइन पढ़कर चैनलों ने निपटा दिया. इस पर कोई गंभीर डिस्कशन और विमर्श नहीं हुआ. कोई स्पेशल शो नहीं चला.
दैनिक भास्कर ने तो एक लाइन की भी खबर नहीं छापी. सूत्रों का कहना है कि नवीन जिंदल ने अपने प्रकरण को तूल न देने के लिए मीडिया को बढ़िया से साधा. मीडिया मैनेजमेंट के कुशल खिलाड़ी नवीन जिंदल के आगे ज्यादातर मीडिया हाउस नतमस्तक दिखे. इसीलिए सिवाय जी न्यूज के, जिसका नवीन जिंदल से सीधा पंगा है, किसी भी अन्य चैनल ने स्पेशल कवरेज जिंदल के फंसने पर नहीं किया. मयप्पन यानि श्रीनिवासन के दामाद के पीछे तो न्यूज चैनल कई दिन तक पड़े रहे. हर पल की मयप्पन की खबर दिखाई जाती रही. वह फिक्सिंग का मामला था, जिसमें पैसा सीधे जनता का नहीं लगा था. पर चैनलों ने इतना हायतौबा किया. लेकिन नवीन जिंदल जो जनता के पैसे को हड़प रहे हैं, जनता को चूना लगा रहे हैं, के खिलाफ चैनल चुप्पी साधे रहे.
बताया जा रहा है कि सब कुछ काफी बड़े पैमाने पर फिक्स किया गया. जिंदल और मीडिया हाउसों के बीच एक अंडरस्टैंडिंग बनी. डील हुई. बस, यही वजह है कि इतने बड़े मामले में फंसने के बाद भी जिंदल न तो देश के खलनायक बने और न ही उनकी गिरफ्तारी का कोई चक्कर चला. यानि आप रसूख वाले हैं, और सरकार आपकी चहेती है तो आपका कुछ नहीं बिगड़ेगा, मीडिया वाले भी आपके आगे पूंछ हिलाएंगे, कानून और न्याय आपके मन-मुताबिक एक्शन-रिएक्शन देंगे. यही हुआ है नवीन जिंदल प्रकरण में.
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