दैनिक जागरण, लखनऊ के लोकल इंचार्ज की दबंगई संस्थान के अंदर और बाहर दोनों जगह एक जैसे ही चालू हैं. इनकी दबंगई का सार्वजनिक मुजाहिरा नगर निगम में सदन की कार्यवाही के दौरान देखने को मिले. मंगलवार को नगर निगम के सदन के दौरान पार्षदों के बीच हुए हंगामे के दौरान एनबीटी के फोटोग्राफ्रर आशुतोष त्रिपाठी फोटो खींच रहे थे. ये जनाब बार बार आशुतोष के सामने आकर अपने मोबाइल से फोटो क्लिक कर रहे थे.
आशुतोष ने जब इनसे थोड़ा हटने की गुजारिश करते हुए कहा कि हट जाइए फोटो के फ्रेम में आप आ रहे हैं. तो इन्होंने कई बार उसकी गुजारिश को अनसुना करके अपने मोबाइल से फोटो खिंचते रहे. आशुतोष ने जब जोर से कहा तो यह भड़क गए तथा उसकी औकात बताने लगे. हुआ कुछ यूं कि दैनिक जागरण के लोकल इंचार्ज अजय श्रीवास्तव ने हाल ही में एक नया फोन लिया है, जिसमें इन्होंने व्हाट्स एप डाउनलोड किया है. इसी मोबाइल के सहारे ये हर जगह खुद ही फोटो खीचने लगते हैं, जबकि उनके अखबार के फोटोग्राफर मौके पर मौजूद रहते हैं.
नगर निगम में हंगामे के दौरान जब इनसे एनबीटी के फोटोग्राफर ने कहा कि आपका फोटोग्राफर मौजूद है, वो फोटो खींच रहा है. आप थोड़ा किनारे हट जाइये तो मैं फोटो खीच सकूं. इस पर लोकल इंचार्ज महोदय तमतमा गए. फोटोग्राफर की ऐसी तैसी करते हुए कहने लगे कि जानते हो किससे बात कर रहे हो. मैं दैनिक जागरण का चीफ रिपोर्टर हूं. तुम्हारी औकात क्या है मेरे सामने? इसके बाद उन्होंने फोटोग्राफर का हाथ पकड़ लिया तथा कहने लगे अभी दिखाता हूं मै क्या हूं. मौके पर मौजूद अन्य अखबारों के फोटोग्राफरों ने बीच बचाव किया तब जाकर मामला शांत हुआ. हालात कुछ इस तरह हो गए थे कि हाथापाई की नौबत आ गई थी.
हालांकि अजय श्रीवास्तव केवल बाहर ही इस तरह का व्यवहार नहीं करते बल्कि ऑफिस के अंदर भी इनका व्यवहार इसी तरह का होता है. इसी का परिणाम है कि ज्यादातर रिपोर्टर जागरण को अलविदा कहकर दूसरे संस्थानों में जा चुके हैं. तमाम रिपोर्टर दूसरे संस्थानों में जुगाड़ खोज रहे हैं. रिपोर्टरों की नाराजगी संपादक दिलीप अवस्थी तक भी पहुंच चुकी है, इसलिए वे प्रत्येक कर्मचारी से व्यक्तिगत रूप से मिलकर उसकी समस्याओं के बारे में पूछताछ कर रहे हैं.