दैनिक जागरण पत्रकारों के शोषक के रूप में पहले से ही जाना जाता रहा है. अब लखनऊ से खबर है कि मैनेजमेंट ने एक फोटोग्राफर का भी लगभग दस हजार रुपए मार लिया है. उक्त फोटोग्राफर से दो महीने काम कराया गया और जब पैसा देने की बात आई तो उसे हटा दिया गया. फोटोग्राफर कई बार प्रबंधन के वरिष्ठ लोगों से मिलकर अपने साथ हुए अन्याय की गुहार कर चुका है, परंतु मोटी चमड़ी वाले प्रबंधन पर इसका कोई असर नहीं है.
जानकारी के अनुसार बबलू शर्मा ने लगभग तीन माह पूर्व दैनिक जागरण में फोटोग्राफर के पर पर ज्वाइन किया था. हालांकि उसको ज्वाइन कराने के बाद भी ज्वाइनिंग लेटर नहीं दिया गया. अमूमन जागरण में ज्यादातर नियुक्तियां मुंहजबानी ही की जाती हैं ताकि शोषण का दौर चालू रखा जा सके. ऐसा ही इस फोटोग्राफर के साथ प्रबंधन ने किया. बताया जा रहा है कि एक महीना पूरा होने पर जब फोटोग्राफर ने अपनी सैलरी के बारे में पूछा तो उसे कागजी कार्रवाई का आश्वासन देकर मामले को टाल दिया गया.
हालांकि इसके बाद फोटोग्राफर बबलू शर्मा को प्रताडित करने का दौर भी शुरू हो गया. उसे एक ही टाइम पर दो से तीन असाइनमेंट सौंपे जाने लगे. बबलू किसी तरह मैनेज करके सारे असाइनमेंट पूरा करते रहे, लेकिन जब दो महीने पूरे होने के बाद भी उनकी सैलरी नहीं मिली तो उन्होंने प्रबंधन से पूछा. फिर आश्वासन देकर टाल दिया गया. बताया जा रहा है कि यह सब लोकल इंचार्ज की शह पर किया जा रहा था, क्योंकि एक बार बबलू ने सभासदों के एक कार्यक्रम में खाने के दौरान गलती से उनका भी फोटो खींच लिया था, जिससे वे कुपित हो गए थे और फोटो भी डिलीट करवा दी थी.
खैर, दो महीना पूरा होने के बाद भी जब बबलू को पैसा नहीं मिला तो उन्होंने हारकर दैनिक जागरण जाना ही बंद कर दिया. प्रबंधन ने उन्हें सैलरी की बजाय फोटो के हिसाब से रकम देने की बात कही. इस हिसाब से भी बबलू ने दो महीने में साढ़े नौ हजार रुपए बने. परंतु यह रकम दैनिक जागरण ने बबलू को नहीं दी. वे अब भी अपने पैसे के लिए जागरण के लोगों के पास भटक रहे हैं. अब देखना है कि दैनिक जागरण प्रबंधन एक गरीब फोटोग्राफर को उसके मेहनत का पैसा देता है या उस रकम को हड़प कर खुद को और अमीर बनाता है.