दैनिक जागरण ऐसे ही जागरण प्रकाशन नहीं बना है. उसके पीछे कितने ही पत्रकारों के शोषण और खून चूसे जाने की लंबी कहानियां रही हैं. मजीठिया वेज बोर्ड की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले दैनिक जागरण ने अपने सारे यूनिटों में खूब हस्ताक्षर अभियान चलाया. पत्रकारों से जबरिया हस्ताक्षर करवाया कि वे कम पैसे पर ही खुश हैं, उन्हें ज्यादा पैसों की जरूरत नहीं. कई पत्रकारों के तबादले किए गए, कई को दूसरे तरीकों से प्रताडित किया गया, कई पत्रकार अपने रिटायरमेंट के आखिरी बेला में बाहर कर दिए गए.
कुल मिलाकर मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश के आधार पर कर्मचारियों को पैसा न देना पड़े इसके लिए दैनिक जागरण प्रबंधन ने अपने सारे घोड़े खोल डाले. खैर, सारी कवायदों के बाद भी सुप्रीम कोर्ट से उसे राहत नहीं मिली. सुप्रीम कोर्ट ने तमाम अखबार संस्थानों को सुनने के बाद मजीठिया वेज बोर्ड लागू करने का निर्देश दे दिया. इसके बाद अन्य अखबारों ने इसकी खबर प्रकाशित की, लेकिन दैनिक जागरण ने इस खबर को भी नहीं छापा. यानी मजीठिया वेज बोर्ड के फैसले से जागरण प्रबंधन बेहद आहत और निराश है.
अब असली खबर. बनारस में प्रबंधन ने एक बार फिर हस्ताक्षर अभियान शुरू किया है. अब इस अभियान की खास बात यह है कि पत्रकारों को यह पढ़ने नहीं दिया जा रहा है कि वे किस बात पर हस्ताक्षर कर रहे हैं. लिखे गए शब्दों को ढंककर पत्रकारों से हस्ताक्षर कराया जा रहा है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रबंधन ने वरिष्ठ पत्रकार आदर्श शर्मा समेत तीन लोगों से हस्ताक्षर कराए हैं. इन सभी ने किस चीज पर हस्ताक्षर किए हैं, इनको कोई जानकारी नहीं है. अब ये पत्रकार चर्चा कर रहे हैं कि कहीं प्रबधंन ने जबरिया उनका जमीन-जायदाद तो नहीं लिखवा रहा है.
बताया जा रहा है कि पत्रकारों को शक है कि प्रबंधन मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों के अनुसार पैसा न देना पड़े इसके लिए यह हस्ताक्षर करवा रहा है. साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा जा रहा है कि यह मामला बाहर ना चला जाए, इसके लिए छोटे-छोटे ग्रुपों में हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है. संभावना है कि अगले कुछ दिनों तक तीन-चार के समूह में हस्ताक्षर कराए जाएंगे. प्रांरभिक खबर तो बनारस से है, लेकिन बताया जा रहा है कि जल्द ही यह हस्ताक्षर सारे समूह में चलाया जाएगा.